पाॅच दिवसीय बीज उत्पादन पर प्रशिक्षण हुआ संपन्न

आजमगढ़। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, लेदौरा में पांच दिवसीय रोजगार प्रशिक्षण विषयक गेहूं का बीज उत्पादन तकनीक 16 से 20 अक्टूबर  को संपन्न हुआ।      
         केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ एल. सी. वर्मा ने बताया कि बताया कि गेहूं का बीज उत्पादन करके किसान अपना बीज खुद तैयार सकते हैं जिससे उन्हें हर साल बीज बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पादप प्रजनन वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश यादव ने बताया कि बीज उत्पादन के लिए पांच चरण जैसे केन्द्रक बीज, प्रजनक बीज, आधारीय बीज, प्रमाणित बीज एवं सत्य बीज होती है। यदि किसान आधारीय बीज से बीज उत्पादन करता है तो उसे तीन सालों तक बीज बदलने की आवशयकता नही पड़ेगी और वह दूसरे किसानों को बीज उपलब्ध कराकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. महेंद्र प्रताप गौतम ने आगे बताया कि एक एकड़ के लिए 40 किग्रा गेहूं का बीज और 50 किग्रा डीएपी लगती है। लाइन में बुवाई करने से खाद एवं बीज सही जगह और उचित मात्रा में गिरता है इसलिए उत्पादन बढ़ जाता है। बुवाई 5 सेंटीमीटर गहराई पर होती है इसलिए जड़ों का विकास अच्छा होता है।
फरवरी में जब गर्म हवाएं चलती हैं तो सिंचाई करने पर फसल गिरती नहीं है। इतना ही नहीं लाइन में बुवाई करने से अन्य शस्य क्रियाएं जैसे निराई-गुड़ाई मे भी आसानी हो जाती हैं। 
    कृषि वानिकी वैज्ञानिक उमेश कुमार ने बताया कि धान के खेत में किसान बिना जुताई किए सीधे सुपर सीडर मशीन से लाइन में गेहूं की बुवाई करें। इससे फसल अवशेष खेत में सड़ने से मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ने के साथ ही बीज, खाद एवं पानी की मात्रा कम लगेगी। खाद जो बुवाई के समय देंगे, उसका भरपूर लाभ भी पौधों को मिलेगा।      प्रक्षेत्र प्रबंधक वेद प्रकाश सिंह ने कहा कि किसान इस विधि से बुवाई करके कम लागत में अधिक बीज उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। गेंहू की समय से बोयी जाने वाली प्रजातियों मे एच.डी.- 2967 एवं करन नरेन्द्र यानि डीबीडब्लयू 222 और पूसा यशस्वी (एचडी 336)। गेहूं की ये तीनों किस्म अगेती किस्म है और प्रतिहेक्टेयर 80 से 82 क्विंटल का उत्पादन देने में सक्षम है। उन्होंन ने बताया कि बुवाई से पहले मिट्टी की जांच अवश्य करा लें और संतुलित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करें। जिन क्षेत्रों में धान की कटाई लेट में हुई है और खेत में नमी बनी हुई है वहाॅ पर किसान खड़े फसल अवशेष में ही गेहूं की बुवाई कर दें जिससे खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी और उत्पादन में भी कमी नहीं आयेगी। प्रशिक्षण के सफल संचालन के लिए प्रमेन्द्र कुमार का सहयोग काफी सराहनीय है। प्रशिक्षण में भाग लेने वाले किसानों में अनिल सिंह असिलाई,  तूफानी यादव, संतु राम सहित कुल 20 लोगों ने भाग लिया।

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