आजमगढ़|शनिवार को जब मौसम ने करवट लिया तो जनपद के कई हिस्सों में बूंदा बूंदी में बारिश ने किसानों के माथे का पसीना छुड़ा दिया क्योंकि गेहूं की फसलें काटने योग्य हो गई है, तो ऐसे मौके पर बारिश का कहर किसानों के पेट पर लात मारने के बराबर है जिसको लेकर किसानों में हाहाकार मच गया| इसके विपरीत दूसरे ही दिन जब सुबह-सुबह ही सूर्यदेव का लोगों को दर्शन हुआ तो अन्नदाता में फसल सही सलामत आज जाग गई | इसको लेकर जब किसान रमेश यादव से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बारिश हल्का सा झुमका ही किसानों की छाती पर मूंग दलने बराबर है| जैसे ही बारिश होती है, तो गेहूं की फसल बर्बाद हो जाती है जिससे हमें रोजी रोटी का संकट झेलना पड़ता है, लेकिन आज सुबह से ही जब धूप निकली तो हमें एक आशा की किरण दिखी |
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