ताबूतों पर फूल व सेहरा चढ़ाकर मांगी मन्नतें
निजामाबाद/आजमगढ़। शिया बाहुल्य गांव शिवली में कर्बला के लुटे हुए काफिले की याद में जुलूसे अमारी निकाला गया। जुलूसे अमारी के साथ अलम, दुलदुल निकाला गया। आयोजन में गाजीपुर, बलिया, गोरखपुर, मऊ, अकबरपुर, मुरादाबाद, सुल्तानपुर, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर के लोगों ने भी बड़ी संख्या में भागीदारी की। ताबूतों पर फूल व सेहरा चढ़ाकर मन्नतें और दुआएं मांगी गर्इं। कार्यक्रम में कत्लगाहे इमाम हुसैन के मंजर के साथ कर्बला में 72 साथियों का ताबूत निकाला गया। मौलाना ने तकरीर करते हुए कहा कि आज बड़ी संख्या में इमाम हुसैन को पुरसा देने के लिए लोग इकट्ठा हुए हैं।

काश हम कर्बला में होते तो इमाम हुसैन पर अपनी जान कुर्बान कर देते। इमाम हुसैन ने यह इच्छा जाहिर की थी कि मुझे भारत जाने दो, लेकिन यजीद हुसैन को घेरकर कर्बला के मैदान में ले आया और उनको शहीद कर दिया। इसी क्रम मे मौलाना अब्बास इरशाद साहब ने भी कर्बला के शहीद को पुरसा दिया और तकरीर में कहा कि आज जितनी आजादी के साथ हम हिंदुस्तान में इमाम हुसैन का शोक मना रहे हैं उतनी आजादी कहीं नहीं मिलनी है। नबी के नवासे ने भी भारत जाने की इच्छा जाहिर की थी। कार्यक्रम में मौलाना शमीममुल हसन वाराणसी, मौलाना नदीम असगर, कैसर अब्बास साहब, मौलाना शमीमुल हसन, अब्बास इरशाद साहब, मौलाना रेहान हैदर साहब और सागर आजमी साहब आदि रहे। जुलूस में अंजुमन असगरिया सुल्तानपुर, अंजुमन सज्जादिया जलालपुर, अंजुमन सज्जादिया घोसी मऊ, अंजुमन अजादारे हुसैनी जलालपुर, अंजुमन सिपाहे मेहंदी, अलमदार हुसैनी ने नौहा मातम किया। संयोजक सैयद जफर, अब्बास, सैयद कमरअब्बास, सैयद अनवर अब्बास ने योगदान किया। अध्यक्षता जीशान निजामाबाद, संचालन फजल अब्बास ने किया। शाम पांच बजे सैयद मोहम्मद गफूर मरहूम के इमाम बारगाह में समाप्त हुआ।
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