कर्बला की शहादत सुन अजादारों की आंखों से छलक पड़े आंसू

सरायमीर। कस्बे में शहीदाने कर्बला के चेहल्लुम का मरकजी व तारीखी जुलूस शनिवार की सुबह चौक स्थित इमामबारगाह तस्कीने जैनब से मजलिस के बाद ताबूत, अलम, ताजिया व जुलजनाह के साथ निकाला गया, जो अपने कदीम रास्तों से होते हुए खरेवां स्थित सदर इमामबाड़ा पहुंचा। वहां पर कर्बला के 72 शहीदों का ताबूत क्रमवार बरामद हुआ, जिसका परिचय कराते हुए सैय्यद जीशान अली निजामाबादी ने उन पर होने वाले जुल्म व दर्दनाक शहादत को बयां किया, तो मौजूद हजारों अजादारों की आंखों से आंसू छलक पड़े। पहली मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना मासूम असगर साहब ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने 1400 साल पहले कर्बला के मैदान में जो पैगाम दिया था उसे आज हमारे मुल्क के लोगों को समझने और सीखने की जरूरत है।
मुख्य चौक पर तकरीर करते हुए मौलाना सैय्यद आरजू हुसन ने कहा कि इमाम हुसैन इंसानियत के सबसे कीमती सरमाया का नाम है। तारीखे इंसानियत में जितनी अजीम हस्ती गुजरी है और दुनिया के तमाम मजहब के जो आइडियल हैं। अगर उनको इकट्ठा किया जाए , तो इमाम हुसैन के अंदर वह तमाम खूबियां पाई जाती हैं। रौजा सैय्यद अली आशिकान सरायमीर में मुंबई से आए मौलाना अली असगर हैदरी ने कहा कि हजरत अली की बेटी जैनब ने यजीद के दरबार में जो खुतबा दिया था, वह बातिल ताकतों को आईना दिखाने के साथ-साथ हुसैनी मिशन की कामयाबी और दीने मोहम्मदी के उसूलों की जीत का एलान है। हजारों की संख्या में गम का प्रतीक काले लिबास में पुरूष और महिलाओं के साथ जुलूस लखनऊ-बलिया मुख्य मार्ग पर पहुंचा तो "लब्बेक या हुसैन" की सदाओं से सरायमीर कस्बा गूंज उठा। जुलूस में अंजुुमन नकविया रायबरेली, अंजुमन हैदरी जलालपुर अंबेडकर नगर, अंजुमन कमरूल इमान मऊ, अंजुमन जाफरी जौनपुर, अंजुमन जाफरिया कोपागंज ने नौहा मातम करके खेराजे अकीदत पेश किया। जुलूस का संचालन सागर आजमी व मोहम्मद हुसैन सरायमीरी ने किया। अंत में शिया कमेटी के अध्यक्ष कायम रजा ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

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