देवी प्रतिमा को आकार देने के बाद रंग भरने में जुटे कलाकार

पांच माह से दिन-रात निर्माण में लगे बंगाल के मूर्तिकार

रानी की सराय में इस बार सौ कामगारों ने डाला है डेरा

रानी की सराय (आजमगढ़) : दुर्गा पूजा के करीब आने के साथ कलाकारों ने भी अपना हाथ तेज कर दिया है। पांच माह से दिन-रात निर्माण में बंगाल के मूर्तिकार लगे हुए हैं। रानी की सराय व आसपास के स्थानों पर इस बार सौ कामगारों ने डेरा डाला है। समय नजदीक आने के साथ कलाकारों ने अपनी स्पीड भी बढ़ा दी है। कस्बे के खलीलाबाद, जगरनाथसराय, पटेलनगर में एक दर्जन प्रतिमा निर्माण करने वाले कामगार कोलकाता से पांच माह पूर्व ही यहां आ जाते हैं। इस बार तकरीबन सौ कामगार प्रतिमा निर्माण में लगे हैं। इसमें एक कलाकार के साथ दर्जन भर सहयोगी हैं। प्रतिमा जो पहले से तैयार कर ली गई थी उसे पूजा कमेटियों ने भी आर्डर देकर बुक कर लिया है। रानी की सराय में निर्मित प्रतिमाएं कस्बे के साथ जिला मुख्यालय, गाजीपुर, जौनपुर मऊ आदि जनपदों मे भी जाती हैं। जनपद के अन्य बाजारों में लगने वाले मेले के लिए भी जाती हैं। एक कलाकार के यहां 40 से 50 प्रतिमा तक का आर्डर पहुंच चुका है। नवरात्र प्रारंभ होते ही प्रतिमाएं पूजा पंडालों मे जाने लगेंगी। अब समय कम होने से कलाकारों ने आर्डर भी लेना बंद कर दिया है।


कीमतों में उछाल से अब बचत होती है कम

 रानी की सराय : प्रतिमा निर्माण में लगे कलाकार संजय पाल की माने तो पहले सामान की कीमत कम थी, तो बचत अच्छी हो जाती थी, लेकिन अब सामान की कीमत बढ़ जाने से पहले जैसी बचत नहीं हो पाती। इस बार सबसे मंहगी प्रतिमा 80 हजार रुपये की है। सबसे कम 10 हजार। पहले दीपावली के बाद वापस लौटने पर पूरे वर्ष भर की कमाई हो जाती थी, लेकिन अब सब खर्च के बाद नाम मात्र ही बच पा रहा है। पहले 50 रुपये में मिलने वाला बांस अब दो से ढाई सौ हो गया है। यही दशा रंग और पुआल आदि का भी है। मिट्टी भी अब महंगी मिल रही है।

 कहीं छत्तीस भुजाओं तो कहीं महिषासुर का मर्दन करते दिखेंगी माता रानी

रानी की सराय : इस बार प्रतिमा निर्माण के लिए मिले आर्डर में छत्तीस भुजाओं वाली माता की प्रतिमा के भी आर्डर मिले हंै। महिषासुर मर्दन की भी प्रतिमा विशेष आकर्षक होगी।

प्रतिमा के आर्डर के साथ पंडाल बनाने में जुटीं कमेटियां

रानी की सराय : पूजा कमेटियों ने प्रतिमा का आर्डर देने के साथ

पंडाल की भी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि रानी की सराय समेत हाईवे के किनारे के बाजारों में हाईवे गाइडलाइंस के चलते अधिकांश पंडाल रेडीमेड ही तैयार होंगे, ताकि हाईवे प्रभावित न हो। एक सप्ताह में तैयार होने वाले पंडाल में भी आकर्षण की कोई कमी नही होगी। देश के विभिन्न ऐतिहासिक मंदिरों की झलक दिखाने की कोशिश में लगे हैं। उधर प्रशासन ने भी आयोजकों के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। पंडाल खुले मे रहेंगे और श्रद्वालुओं के लिए रास्ते बनेंगे। हर पंडाल पर अग्निशमन व आपातकाल व्यवस्था उपलब्ध होगी। विद्युत तार से दूरी पर ही पंडाल बनेंगे और उसमें ज्वलनशील पदार्थ न पहुंचने की व्यवस्था करनी होगी।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ