फादर्स-डे याद आ जाती है पिता की सीख: मीरा चैहान
आजमगढ़। किसी ने सही कहा है कि यदि किसी कार्य को सिद्दत से किया जाय, तो वहीं कार्य आपकी पहचान बन जाती है। यह कथन समाजसेविका मीरा चैहान पर बिलकुल फिट बैठता है। दरअसल इनके पिता महातम चैहान ने उन्हें समाजसेवा की प्रेरणा दी थी। पिता की इसी सीख की बदौलत किसी बड़े पद पर नहीं रहने के बाद भी आज उनका नाम प्रमुख समाजसेवियों में गिना जाता है। उनका पुरा परिवार उनके समाजसेवा कार्य में साथ देता है। मीरा चैहान मंदिर, धर्मशाला में आयोजित सार्वजनिक कार्यों में भरपूर समय देकर लोगों की मद्द करने के साथ गरीब तबके की भलाई के काम में भी अपनी हिस्सेदारी दे रही है। जनपद में कई सामाजिक संगठनों ने समाजसेवा का वीणा तो उठाया लेकिन इनकी सक्रियता के आगे अधिक दिनों तक टिक नहीं पाए। मीरा चैहान का कहना है कि समाजसेवा के कार्यों का प्रचार-प्रसार करने के बजाए वे कार्य गोपनीय ढंग से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फादर्स डे के मौके पर उन्हें अपने पिता की सीख रह रह कर याद आ जाती है। इसी वजह से वे हर बार समाजसेवा के तहत जरूरतमंद लोगों की सेवा कर कुछ नया करने का प्रयास करती है।
श्री चैहान का कहना है कि अपनी इस पहचान के लिए वे माता-पिता, भाई-बहन व अपने पति प्रकाश चैहान सहित अपने आराध्य सेवी, देवताओं को धन्यावद देती है। उनकी कृपा से संयुक्त परिवार में रह कर भी वे अपने काम के साथ समाज सेवा के कार्यों का संचालन कर लेती है। उन्होंने कहा कि जीवन के हर पड़ाव पर परिवार के साथ विचार-विमर्श कर निर्णय लेना सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। इसके अलावा अनुशासन समय की पाबंदी व पारदर्शिता सफलता के मूल मंत्र है, जिनको अमल मेें लेना बहुत जरूरी है।
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