सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ब्राह्मणों को किया गया अन्न व वस्त्र दान
घरों के अलावा नदी-सरोवरों के किनारे भी किया गया तर्पण व पिंडदान
पूर्वजों को जलांजलि और भोजन के बाद अग्नि को समर्पित किया भोजन
आजमगढ़। सनातनधर्मी परिवारों में शनिवार को सुबह से ही अजब सा माहौल, गजब सा उत्साह और अपार श्रद्धा दिखी। लग रहा था कि कोई त्योहार हो। वाकई यह त्योहार ही था कि पितरों की विदाई करने को हर कोई आतुर दिखा। सुबह से ही स्नान के बाद जलांजलि, पिंडदान व भोजन अर्पित करने के बाद ब्राह्मणों को अन्न व वस्त्र दान का सिलसिला शुरू हो गया। नदी-सरोवरों के किनारे पहुंचकर जहां कुछ लोगों ने समस्त कर्मकांड पूरे किए, वहीं तमाम लोग ऐसे थे, जिन्होंने अपने घरों में ही पुरोहितों को बुलाकर पिंडदान कराया। उसके बाद पितरों के नाम से भोजन निकाला गया और परंपरा के अनुसार उसे गाय को खिलाया गया, लेकिन शहरी क्षेत्र में गाय को खोजने के लिए लोगों को भटकना पड़ा। अंत में पितृदेव के नाम से अग्नि को भी भोजन समर्पित किया गया। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया गया और सामर्थ्य के मुताबिक दान दिया गया। उधर पितृ विसर्जन के दिन पितृदेव को तरह-तरह के पकवान समर्पित करने की परंपरा को देखते हुए घर की महिलाएं सुबह से ही भोजन तैयार करने में लगी हुई थीं। इस दौरान खासतौर से शहरी इलाकों में ब्राह्मणों को ढूंढने में लोगों को मशक्कत करनी पड़ी। गाय को भोजन खिलाने की परंपरा का निर्वहन भी कई लोग नहीं कर पाए। कारण कि शहर में अब गाय पालने का शौक कम हो गया है, तो वहीं कुछ लोग किसी की गाय को भोजन देने में संकोच करते हैं। कुल मिलाकर सनातनधर्मी परिवारों में शनिवार को पितरों को श्रद्धापूर्वक विदाई दी गई। साथ ही कामना की कि हमें आशीर्वाद दें, ताकि अगले बरस हम आपकी और भी बेहतर ढंग से सेवा कर सकें।
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