निराजल व्रत रख माताएं आज करेंगी पुत्र के दीर्घायु की कामना

जीवित्पुत्रिका ::::

पूजा के लिए जरूरी सामानों की खरीदारी को बाजारों में उमड़ी रही भीड़

सरगही के लिए देर रात तक बनती रही इमरती और बिकती रही दही

जंगली बरियार के दातून, कच्ची तिल व नेनुआ के पत्ते जुटाने की रही चिंता
आजमगढ़।
मां के लिए पुत्र जैसा भी हो, लेकिन उसकी सलामती और मंगल की कामना करना नहीं भूलतीं। तभी तो पुत्रवती माताओं की भीड़ पूजा के लिए जरूरी सामानों की खरीददारी के लिए गुरुवार को बाजारों में उमड़ पड़ी। माताओं के लिए प्रमुख व्रत पर्व जीवित्पुत्रिका इस बार शुक्रवार को मनाया जाएगा।
माताएं दिन भर इसकी तैयारियों में लगी रहीं। बाजारों में जरूरी सामानों की दुकानें सजी रहीं और उस पर खरीददारों की काफी भीड़ रही। पूजा के काम आने वाले फल, फूल के अलावा कपड़े, चीनी के लड्डू और सोने-चांदी के लाकेट खरीदे गए। दूसरी ओर जंगली बरियार के दातून, नेनुआ के पत्ते, कच्ची तिल आदि जुटाने की चिंता भी रही। इस व्रत से पूर्व मत्स्य दर्शन की भी परंपरा है। कुछ महिलाएं एक दिन पहले तो कोई ऐन व्रत के दिन भोर में सबसे पहले मछली का दर्शन करती हैं और बदले में मत्स्य दर्शन कराने वालों को दान में पैसा देती हैं। इस परंपरा के चलते गुरुवार की भोर में भी पानी भरे बर्तन में मछली लेकर गांव और शहर की गलियों में बच्चे घूमते नजर आए।
 उधर इस व्रत का संबंध पितृ पक्ष से भी है। व्रत के पारण के दिन को मातृ नवमी कहा जाता है। परंपरा यह भी है कि जिन माताओं की सास दिवंगत हुई रहती हैं, उन्हें भोजन देकर विदाई दी जाती है। व्रत से पूर्व भोर के जलपान को सरगही कहते हैं जिसमें मिष्ठान खासकर इमरती, दही व केला का सेवन किया जाता है। इसके चलते सुबह से ही हलवाई की दुकानों पर भट्ठियों पर कड़ाहे चढ़े नजर आए। कहीं इमरती छन रही थी, तो कहीं चीनी के लड्डू बनाए जा रहे थे। दही और केला की भी मांग रही।
रानी की सराय : जीवित्पुत्रिका व्रत पर बाजार गुलजार रहे। सराफा की दुकान से लगायत फलों की दुकानों पर भीड रही। पुत्रों के दीघार्यु के लिए रखे जाने वाले व्रत के लिए एक दिन पहले से ही बाजार गुलजार हो गए। गुरुवार को बाजार में ज्यूतिया खरीदने के लिए सराफा की दुकानों पर भीड़ रही। फलों के दाम भी बढ़ गए थे। व्रत से पूर्व सतपुतिया की सब्जी खाने की परंपरा के कारण सौ रुपये किलो तक बिकी।

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