हृदय रोगी भी खा सकेंगे सरसों का तेल
आजमगढ़। लेदौरा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में पूसा डबल जीरो सरसों-32ं का परीक्षण किया जा रहा है। जीरो कोलेस्ट्राल वाली यह प्रजाति किसानों को दोगुनी पैदावार देगी। कृषि वैज्ञानिक डा0 एलसी वर्मा ने बताया कि इसमे कोलेस्टार की मात्रा शून्य होने के कारण हृदय रोगी भी इस सरसो के तेल को खा सकेंगे। उन्होंने बताया कि यह प्रजाति किसानों को दोगुनी पैदावार देगी। कहा कि वनस्पति तेल में पाई जानेवाली एक लिपिड है। इसकी उच्चमात्रा हृदयघात का कारण बनती है। जब कि कोलेस्ट्राल जन्तु वसा में पाई जाने वाली वसा है। इसकी उच्च मात्रा स्वास्थ्य की लिए हानिकार होती है। कहा कि किसान अब तक पीली सरसों बोते है। लेकिन यह काली सरसों अच्छी पैदावार वाली प्रजाति है। खाद्यान में इसके तेल का प्रयोग करने से सेहत को कोई नुकसान नहीं होगा। पूसा-32 में काली सरसों के मुकाबले कोलेस्ट्राल कम होने के कारण इसकी मांग अधिक रहती है। बताया कि यह कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा तैयार की गई है। इस प्रजाति की खासियत। इस प्रजाति कि यह खासियत है कि यह 145 दिन में तैयार हो जाती है। इस सरसों में 38 प्रतिशत तेल निकलता है।इसकी पैदावार एक हेक्टेयर में 27.10 कुंतल औसत होती है। इस सरसों में इरूसिक एसिड की मात्रा 1.32 प्रतिशत रहती है जब कि सामान्य प्रजातियों में इसकी मात्रा 42 प्रतिशत से उपर होती है।
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