डा० कन्हैया सिंह का स्वर्गवास आजमगढ़ की शैक्षिक व सामाजिक क्षति है: दारा सिंह चौहान

आजमगढ़। रविवार कों अपराह्न 3 बजे वरिष्ठ नागरिक सेवा संस्थान की तरफ से डॉ. कन्हैया सिंह के राहुल नगर ठंडी सड़क स्थिति आवास पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि सभा के मुख्य वक्ता दारा सिंह चौहान (मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार) ने कहा कि कन्हैया सिंह जी के निधन की खबर मेरे लिए अत्यंत हृदय विदारक थी। कन्हैया सिंह जी डी ए वी डिग्री कॉलेज में मेरे गुरु थे और फिर उसके बाद जीवन पर्यंत डॉक्टर साहब ने मुझे मार्गदर्शन और आशीर्वाद दिया। प्रदेश ही नहीं देश भर में उनकी ख्याति थी। एक साहित्यकार के नाते देश में जो उन्होंने अपना नाम बनाया था वह अजमगढ़वासियों के लिए गौरव और सम्मान की बात है। कन्हैया सिंह जी का निधन एक युग का अंत माना जाना चाहिए। वह मेरे अभिभावक थे। उनका निधन आजमगढ़ की शैक्षिक, सामाजिक और राजनैतिक क्षति है। 
वरिष्ठ नागरिक संस्थान के संस्थान के सचिव भानुप्रताप श्रीवास्तव ने कहा कि मेरा बचपन ही डा० साहब के आशीर्वाद से प्रारम्भ हुआ। उन्होंने मुझ जैसे न जाने कितनों के भविष्य को संवारने का कार्य किया है। आज तक मैने इतने बड़े व्यक्तित्व के व्यक्ति को इतनी सहजता और सरलता के साथ जीवन जीते नहीं देखा है। जिला शासकीय अधिवक्ता राम कृष्ण मिश्रा ने कहा कि कन्हैया सिंह जी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विधि संकाय के टॉपर थे। कुछ वर्षों तक आजमगढ़ दिवानी न्यायालय में अधिवक्ता भी रहे। कन्हैया सिंह जी को साहित्य और कानून दोनों की सिद्ध हस्त जानकारी और ज्ञान था। फिर भी उनका सहज सरल जीवन वर्तमान पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है।
प्रवीण सिंह ( समाजसेवी) ने कहा कि कन्हैया सिंह जी को मैंने अपने पिता जी स्वर्गीय राम कुंवर सिंह जी के मित्र के रूप में जाना। परंतु पिता जी के न  रहने पर मैंने कन्हैया सिंह जी में ही अपने पिता को देखा।डॉक्टर साहब आजमगढ़ की मिट्टी में जन्में वह हीरा थे जिसने अपने साथ साथ आजमगढ़ की चमक को देश भर में फैलाने और कीर्ति को बढ़ाने का कार्य किया है। आजमगढ़ का प्रत्येक व्यक्ति उनके साहित्यिक अवदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा। माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष बृजेश राय ने कहा कि डॉ. कन्हैया सिंह जी का सानिध्य मुझे विद्यार्थी जीवन से लेकर उनके जीवन पर्यंत मिलता रहा। डॉक्टर साहब हम लोगों को छात्र आंदोलनों में सहयोग दिलाते थे। जब मैं शिक्षक नेता हो गया तो शिक्षक संगठन ने जब कभी भी उन्हें याद किया तो अपनी तमाम व्यस्तताओं को छोड़कर वह संगठन के साथ रहते थे। उनका व्यक्तित्व जितना विराट था स्वभाव उतना ही सरल था। संगोष्ठी में फूलचंद यादव, अजय राय, कमलेश राय, राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, प्रताप श्रीवास्तव, तीरथ यावद, प्रदीप भादुड़ी, विनीत सिंह सोनू  एवं अन्य उपस्थित रहे। गोष्ठी का संचालन जितेंद्र सिंह ने किया।  सभी ने डॉ. कन्हैया सिंह के सुपुत्र चित्रसेन सिंह को साहस एवं उनकी परंपरा को आगे बढ़ाने हेतु आग्रह किया।

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