सड़कों पर छलकते जाम,, एवं ठेला आटो बसें बनीं आवागमन में बाधा




 •नया बस अड्डा में हर समय लगता है जाम

•फ्लाईओवर के नीचे चारों तरफ लगने वाले ठेला पुलिस एवं नगर निगम को देते हैं चढ़ोत्तरी

♦️:- देश भर में लागू आचार संहिता के बीच मध्यप्रदेश में चुनाव हो चुका है पुलिस खाली हो गई है लेकिन उसके पास कोई भी व्यवस्था बनाने के लिए समय नहीं है,, चूकीं थाना में इतनी अधिक भीड़ आ जाती है की उनको सुनने के बाद  अन्य कार्यों में व्यस्तता हो जाती है वीट प्रभारी अपने क्षेत्र की हर जगह सौदा कर अपनी अहमियत कायम कर रखा है,,  नया बस अड्डा के सामने से निकलना तो जब बीस मिनट से अधिक समय जाम में फस कर खड़े रहने के लिए हो तभी निकलना चाहिए,, चूंकि ठेला लगाने वाले बेचारे मजबूर हैं उन्हें नगर निगम के ठेला लगवाने वाले आका को दो तीन सौ रुपए हर दिन देना पड़ता है,, फिर स्थानीय पुलिस का फिक्स है,,  बचा खुचा रास्ता में सुबह से शाम तक मदिरालय के सामने मजमा लगा रहता है,,,,  जहां से बच कर निकल जाना किसी युद्ध जीतने से कम नहीं होता,,,  रीवा शहर की सबसे महंगी शराब दुकान समान एवं पीटीएस मदिरालय के सामने पूरा दिन सड़कों पर जाम छलकते हैं,, असहाय पुलिस भी कुछ नहीं कर सकती अगर कसावट लाती है तो आला अधिकारियों की आमदनी भी प्रभावित होती है,,,फिर तो निचले अमले की खैरियत नहीं होती,,,, इस बीच किसी राजीव तिवारी नामक व्यक्ति का रहती हैं दखल,,, यह राजीव तिवारी कौन है इसके पास कौन सा अधिकार है यह तो नहीं पता चल रहा है लेकिन अगर किसी थाना प्रभारी से लेकर किसी ओहदे वाले के मोबाइल पर अगर राजीव तिवारी नामक फोन बज गया तो कुर्सी से खड़े होकर मोबाइल पर बात करना पड़ती है,, आम आदमी का सीधा कहना है कि हर व्यवस्था वसूली पोस्टिंग ठेला, गुमटी सब कुछ राजीव तिवारी नामक व्यक्ति की अनुमति से लगते हैं,, है कौन यह किसी विभाग के लोग उजागर नहीं करते,,, चर्चा तो यह है कि मोंटी रकम इसी ठीहे पर जमा की जाती है फिर अगले मुकाम पर पहुंचते हैं,,,, मामला चाहे जो भी हो लेकिन आम जनता जो वास्तविक पीड़ित हैं उसकी पुलिस नहीं सुनती बल्कि विभाग में एक व्यवस्थित नीति है जो पुलिस के आमदनी या काम का विरोध करने की हिमाकत करता है उसे निपटाने का बंदोबस्त किया जाता है,,,

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