जयंती पर याद किए गए महान क्रन्तिकारी चंद्रशेखर आज़ाद


आजमगढ़। प्रयास सामाजिक संगठन की ओर से देश के आजादी के महान क्रांतिकारी चन्दशेखर आजाद की जयंती शहर स्थित सिंहासिनी वाटिका में जयंती एवं सम्मान समारोह  के रूप में मनाई गई। सर्वप्रथम समारोह की शुरूआत महान क्रांतिकारी के चित्र के समक्ष पुष्पाजंलि व दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके बाद एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। अध्यक्षता प्रयास अध्यक्ष रणजीत सिंह व संचालन आदित्य आजमी ने किया। 
श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए राजीव शर्मा ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद 14 साल की उम्र में बनारस में पढ़ाई करने गए थे। साल 1920-21 में वह गांधीजी से प्रभावित हुए और उनके असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। इसी दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जज के सामने पेश किया गया। जज ने जब उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम आजाद बताया और पिता का नाम स्वतंत्रता व निवास जेल बताया उनके इस तेवर के लिए जज ने उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी थी। वह हर कोड़ों की मार पर वंदेमातरम का नारा लगाते रहे।  डा वीरेंद्र पाठक ने कहाकि देश के युवाओं को महापुरूषों की राह पर चलना होगा और राष्ट्र प्रेम की भावना का सूत्रपात करना होगा। गायक आदित्य आजमी ने उनके सम्मान में कहा कि मलते रह गए हाथ शिकारी, उड़ गया पंछी तोड़ पिटारी, अंतिम गोली खुद को मारी, जियो तिवारी, जनेऊधारी। चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजी हुकूमत की ईंट से ईंट बजाकर इतिहास में आदि अनादि काल के लिए अमर हो गए। सम्मारोह में डा इमरान, अबू बकर प्रधान, अभिमन्यु यादव, रविशंकर सिंह, शिवप्रसाद पाठक, डा रामसूरत यादव, राजेश यादव, राजेन्द्र प्रसाद मौर्य, इंजी अमित यादव, सुधाकर उपाध्याय, रामकेश यादव, डा वीरेंद्र पाठक, मीरा चौहान आदि का अपने अपने क्षेत्रों में अहम योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र व मार्ल्यापण कर सम्मानित किया गया। सचिव इंजी सुनील यादव ने सभी के प्रति आभार जताया। इस अवसर एसएन सिंह, राजेश कुमार, अमित, रामकिशुन, नारायण त्रिपाठी, प्रकाश मिश्र, कृष्णानंद पाठक, किशन कुमार, हरिश्चन्द्र, नीलम सिंह, सुषमा प्रजापति, डा हरिगोविन्द विश्वकर्मा, धनश्याम मौर्य, नरेंद्र मिश्र, विजय सिंह, आलोक लहरी आदि उपस्थित रहे। 

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