तहबरपुर/आजमगढ़। रविवार जिले के पशुपालकों के लिए पशुओं की इलाज हेतु 1962 टोल फ्री नंबर वरदान साबित हो रहा है। किसी भी पशु को चोट लगे या तबीयत खराब होने पर एक ही फोन से बीमार पशुओं का इलाज हो रहा है। 1962 सेवा 1 अप्रैल सन 2023 से चल रही है। 1962 दो प्रकार से सेवा दे रहा है।
1. 8AM से 2PM तक तीन-तीन गांव में जाकर पशुओं का इलाज, सरकार की पशुपालन संबंधी विभिन्न योजनाओं एवं अन्य सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देना, पशुपालन से संबंधित सभी प्रकार की संपूर्ण जानकारी एक पशु चिकित्सा एक पशु चिकित्सा सहायक तथा एक ड्राइवर के माध्यम से दी जा रही है।
2. 10:00 AM से 8:00PM तक पशुपालक द्वारा टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल करने करने से प्राप्त हो रही है। इसके अंतर्गत पशुपालक भाइयों को उनके पशुओं से संबंधित किसी भी प्रकार के बीमारी की संपूर्ण इलाज इमरजेंसी रिस्पांस सेंटर लखनऊ में बैठे पशु चिकित्सकों द्वारा पशुपालकों को सलाह, बीमारियों से बचाव एवं दवाइयां की जानकारी टेली मेडिसिन के माध्यम से दी जाती है। आवश्यकता पड़ने पर संबंधित जिले के 1962 की मोबाइल वेटरनरी यूनिट को भेज कर पशुपालक के द्वार पशुओं का उपचार कराया जा रहा है। आजमगढ़ जिले में कुल 9 गाड़ियां हैं जिनमें से 5 गाड़ियां फिक्स रूट फिक्स रूट पर चल रही हैं तथा चार गाड़ियां इमरजेंसी सेवा के रूप में कार्य कर रही है।
आजमगढ़ जिले के सदर तहसील अंतर्गत साठियांव ब्लॉक ग्राम कुकरीपुर के पशुपालक श्री जयप्रकाश राय के अनुसार उनकी एक गए पिछले तीन महीने से बीमार थी और उन्होंने अगल-बगल के सभी डॉक्टर पैरावेट, झोलाछाप से इलाज कर लिया फिर भी कोई आराम नहीं हो रहा था। उनसे किसी ने वेटरिनरी पॉलीक्लिनिक सिधारी आजमगढ़ के बारे में बताया। श्री राय सिधारी पॉलीक्लिनिक आजमगढ़ गए वहां पॉलीक्लिनिक की अधीक्षक/ उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ मोनिका शर्मा जी से मुलाकात हुई और उन्होंने 1962 सेवा के बारे में बताया तथा उन्होंने वहीं से 1962 पर फोन लगाया।थोड़ी ही देर में आजमगढ़ की 1962 सदर टीम ने उनके फोन पर फोन किया और बताया कि हम उनके यहां 45 मिनट में पहुंच जाएंगे। बताए समय के पहले ही उनके दरवाजे पर 1962 की मोबाइल वेटरनरी यूनिट आ गई। उसमें डॉक्टर शिव प्रसाद यादव एमटीएस श्री अमरेश्वर चौबे तथा पायलट श्री मनीष कुमार चौहान थे। डॉक्टर शिव प्रसाद यादव की टीम ने लगातार चार दिन तक इलाज किया। प्रथम दिन से ही उनकी गायक को आराम महसूस हो गया। गाय अपने से खड़ी हो गई फिर धीरे-धीरे चलने लगी। चौथे दिन तक आते-आते उसको पूरा आराम हो गया और वह पहले के जैसी ठीक हो गई और चारा भी खाने लगी। श्री जयप्रकाश राय के अनुसार डॉक्टर शिव प्रसाद यादव एवं उनकी टीम भगवान बनकर एकदम से मृत पड़ी गाय को खड़ा कर पहले जैसा स्वस्थ कर दिया। अगर हमें सही समय पर 1962 की सहायता नहीं मिली होती तो हमारी गाय नहीं बच पाती।
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