छात्रा से छेड़छाड़, दोषी को तीन साल की सजा और जुर्माना!

मुजफ्फरनगर। समय भले ही बीत जाए, पर न्याय की डगर जब चलती है, तो सच की जीत होती है। ऐसा ही एक फैसला मुजफ्फरनगर में विशेष पोक्सो अदालत ने सुनाया, जिसमें करीब दस साल पहले एक नाबालिग छात्रा के साथ हुई छेड़छाड़ के मामले में अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए तीन साल के कारावास की सजा और पांच हजार रुपये के आर्थिक दंड से दंडित किया हैयह मामला 13 मई 2015 का है। थाना सिविल लाइंस क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति ने उस दिन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के अनुसार, उसकी बेटी, जो उस समय आठवीं कक्षा की छात्रा थी, हर दिन की तरह उस दिन भी ट्यूशन पढ़ने के लिए घर से निकली थी। लेकिन रास्ते में अचानक एक युवक मनीष ने उसे रोक लिया। मनीष ने न केवल छात्रा से अश्लील हरकतें कीं, बल्कि जब छात्रा ने उसका विरोध किया, तो उसने मारपीट भी की।इस दुस्साहसिक घटना से घबराई छात्रा किसी तरह बचकर निकल पाई। घटना स्थल पर शोर सुनकर जब स्थानीय लोग एकत्र होने लगे, तो आरोपी मौके से भाग खड़ा हुआ। जाते-जाते उसने छात्रा को धमकी भी दी कि अगर किसी को कुछ बताया, तो अंजाम बुरा होगाघटना के बाद परिवार भय और आक्रोश से भर उठा, लेकिन उन्होंने साहस दिखाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी के खिलाफ पाक्सो एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया और जांच शुरू की। पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया के कारण यह मामला अदालत में लंबा चला।मंगलवार को विशेष पोक्सो कोर्ट प्रथम मंजुला भालोटिया की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। सरकारी पक्ष की ओर से एडीजीसी प्रदीप बालियान ने मजबूती से पक्ष रखा और तमाम साक्ष्य प्रस्तुत किए। अदालत ने सभी तथ्यों और गवाहों की गहनता से समीक्षा करने के बाद आरोपी मनीष को दोषी माना और उसे तीन साल के सश्रम कारावास तथा पांच हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।यह फैसला न केवल पीड़िता और उसके परिवार के लिए न्याय की एक किरण है, बल्कि समाज के उन तमाम लोगों के लिए एक संदेश भी है जो कानून से ऊपर खुद को समझते हैं। यह दिखाता है कि भले ही न्याय में देरी हो, पर अंधकार को चीरकर अंततः न्याय का उजाला अवश्य आता है।

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