पूर्वांचल बिजली निजीकरण के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा का राज्यव्यापी प्रदर्शन।

किसानों के लिए बिजली बिलों में राहत दी जाए और गलत बिलिंग की शिकायतों का त्वरित समाधान हो।

संवाददाता -राकेश गौतम 
आजमगढ़। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के प्रस्ताव को लेकर प्रदेश भर में विरोध तेज़ हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में मंगलवार को उत्तर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर एकजुट होकर किसान संगठनों, मज़दूर यूनियनों और नागरिक संगठनों ने प्रशासनिक कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन सौंपा। आजमगढ़ में भी संयुक्त किसान मोर्चा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार की नीतियों को किसान विरोधी और जनविरोधी करार देते हुए नारेबाज़ी की। उन्होंने कहा कि बिजली जैसी बुनियादी सेवा को निजी हाथों में सौंपना गरीबों, किसानों और आम नागरिकों के खिलाफ एक साजिश है।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे मोर्चा के जिला संयोजक ने बताया कि यदि सरकार निजीकरण की योजना वापस नहीं लेती तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा, और जरूरत पड़ी तो राज्यव्यापी धरना-प्रदर्शन और चक्का जाम जैसे कदम भी उठाए जाएंगे। मुख्य मांगें जो ज्ञापन के माध्यम से सरकार तक पहुंचाई गईं, उनमें शामिल हैं. पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण प्रस्ताव को तत्काल रद्द किया जाए। किसानों को बिजली पर मिलने वाली छूट और सब्सिडी बहाल रखी जाए। बिजली कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।निजीकरण के चलते कर्मचारियों की नौकरी और सेवा शर्तों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
किसानों के लिए बिजली बिलों में राहत दी जाए और गलत बिलिंग की शिकायतों का त्वरित समाधान हो। प्रदर्शन के अंत में प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन सौंपा, जिसे मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन सिर्फ विद्युत विभाग तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि प्रदेशव्यापी जनांदोलन का रूप ले सकता है।

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