बिहार चुनाव 2025: संविधान बना जनभावना का केंद्र, विपक्ष के तीखे तेवर!

संविधान की आवाज़ बनकर उठी बिहार की ज़मीन—सियासत ने ली जनभावना की शक्ल!"
जब चुनाव सिर्फ सत्ता का खेल नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा का संघर्ष बन जाए!
राहुल से तेजस्वी तक, संविधान पर एक सुर—जनता के मन में गूंजता सवाल! 
पटना। जैसे-जैसे बिहार चुनाव का माहौल गरमाता जा रहा है, संविधान की रक्षा का मुद्दा राजनीति के केंद्र में आ गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार मंचों से यह सवाल उठा रहे हैं—“संविधान खतरे में क्यों है?” उनका आरोप है कि मौजूदा केंद्र सरकार लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर कर रही है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सीमित करने की कोशिश हो रही है। इस संवेदनशील मुद्दे पर जेडीयू के नेता नीतीश कुमार ने भी अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने कहा, “संविधान की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है।” वहीं तेजस्वी यादव ने इसे जनता की आवाज बताते हुए स्पष्ट कहा, “बिहार की जनता संविधान विरोधी ताकतों को करारा जवाब देगी।” जनता के बीच इस बहस को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ ने इसे विपक्ष की चुनावी रणनीति बताया, तो कुछ ने इसे लोकतंत्र की आत्मा की रक्षा की पुकार करार दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष संविधान को भावनात्मक मुद्दा बनाकर युवाओं और वंचित वर्गों को जोड़ने की रणनीति अपना रहा है। यह एक ऐसा प्रयास है जो सिर्फ चुनावी गणना नहीं, बल्कि विचारधारात्मक जुड़ाव को भी दर्शाता है। बिहार विधानसभा चुनाव सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि संविधान की संवेदनशीलता और उसकी रक्षा के लिए जनसंवाद का एक बड़ा मंच बनता जा रहा है।

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