मुजफ्फरनगर में 500 करोड़ जीएसटी घोटाला- सर्वोत्तम स्टील के मालिक संजय जैन की जमानत याचिका खारिज

संवाददाता योगेश कुमार 
मुजफ्फरनगर। शहर के उद्योग जगत में उस समय भूचाल आ गया, जब अरबों रुपये के जीएसटी घोटाले में फंसे प्रसिद्ध उद्योगपति और सर्वोत्तम स्टील के मालिक संजय जैन की जमानत याचिका अदालत ने खारिज कर दी। अब उन्हें फिलहाल जेल में ही रहना होगाजीएसटी विभाग के सूत्रों के अनुसार, संजय जैन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी बिलों के माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का अनुचित लाभ उठाया, फर्जी फर्मों के जरिए लेन-देन किया और करोड़ों रुपये का वस्तु एवं सेवा कर (GST) चोरी किया। विभागीय जांच में सामने आया कि उनकी फैक्ट्री और उससे जुड़े प्रतिष्ठानों के माध्यम से लंबे समय से करोड़ों रुपये की कर चोरी हो रही थीजीएसटी विभाग ने संजय जैन को कई बार समन भेजा, लेकिन वे पेश नहीं हुए। बाद में देहरादून कार्यालय में पूछताछ के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया और मेरठ लाकर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें जेल भेज दिया गया। सोमवार को उन्हें मेरठ की अदालत में पेश किया गया था जहाँ संजय जैन के वकील परवेज आलम नेजमानत याचिका दाखिल की जिस पर जीएसटी के वकील ने समय ले लिया था तो अदालत ने बुधवार की तारीख लगा दी थी, जहां आज सुनवाई के बाद उनकी जमानत याचिका ख़ारिज कर दी गई जिससे उन्हें अभी और जेल रहना पड़ेगा। कानून के जानकारों के मुताबिक उन्हें हाई कोर्ट से पहले राहत मिलने की सम्भावना कम है जिससे उनकी जेल अवधि लम्बी हो सकती है।हाल ही में जीएसटी विभाग ने संजय जैन के कार्यालय, गोदाम और आवास पर छापेमारी कर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और डिजिटल डेटा जब्त किया। विभाग का कहना है कि यह कार्रवाई महीनों की निगरानी और दस्तावेजी जांच का परिणाम है।मुजफ्फरनगर में फर्जी बिलों का यह रैकेट नया नहीं है। इसका कथित मास्टरमाइंड और पूर्व सभासद विकल्प जैन पहले ही जेल जा चुका है। बरामद दस्तावेजों से ‘टिहरी स्टील्स’, ‘अम्बा स्टील्स’, ‘सर्वोत्तम स्टील्स’, ‘राणा स्टील्स’, ‘बरनाला स्टील्स’ स्वरुप स्टील, अमन स्टील और अन्य मिलों के नाम सामने आए हैं। विभागीय सूत्रों का दावा है कि यह रैकेट करीब 500 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का है।इससे पहले वैभव गोयल (टिहरी स्टील्स), शाह मोहम्मद राणा (पूर्व सांसद कादिर राणा के बेटे) और कार्तिक स्वरूप (नगर पालिका अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप के बेटे) भी इस तरह के मामलों में जीएसटी विभाग की कार्रवाई का सामना कर चुके हैं।विकल्प जैन इन दिनों नगर पालिका अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप के सबसे ज़्यादा करीबी माने जाते हैं और उनके साथ उनके कार्यक्रमों में नजर आते हैं। आरोप है कि वह पालिका में ठेकों के आवंटन से लेकर उनकी और उनके परिवार की फैक्ट्रियों में फर्जी बिलों के कारोबार में भी सक्रिय है। स्टील उद्योग के सूत्रों के मुताबिक विकल्प जैन जब जीएसटी की हिरासत में थे, तभी उन्होंने सभी स्टील फैक्ट्रियों का काला चिट्ठा अफसरों को सौंप दिया था जिससे ही इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है। विकल्प जैन अभी भी जीएसटी अफसरों को गोपनीय सूचनाए उपलब्ध करा रहा है। जीएसटी सूत्रों के मुताबिक इस मामले में विकल्प समेत मोहम्मद ताबिश उर्फ राजू उर्फ़ नूरजहां, आशुतोष  उर्फ़ (आशु) और कौशल किशोर से भी जीएसटी को काफी गोपनीय जानकारी मिली थी जिन पर अब आगे कार्यवाही की जाएगी।जीएसटी विभाग का कहना है कि शहर में यह रैकेट एक बार फिर सक्रिय हो चुका है। विकल्प जैन के साथ-साथ विनय, दीपक, शंकर, गोल्डी, नरेश और सहारनपुर के कुछ व्यापारी भी रडार पर हैं। इनके खिलाफ पुख्ता साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं और जल्द बड़ी कार्रवाई की संभावना है। इसी बीच सरकारी तंत्र यह भी जाँच करने में लगा है कि इस घोटाले में नकदी के क्या श्रोत है ?, जिसको लेकर आयकर विभाग समेत अन्य विभागों से भी मदद ली जा रही है।  लोहा उद्योग में जीएसटी चोरी के लिए ‘पर्ची’ के इस्तेमाल पर भी नज़र रखी जा रही है, वहीं लोहा उद्योग को नकदी का प्रवाह उपलब्ध कराने वाले अमित, नरेश,महेश, रजनीश और सौरभ आदि पर भी ख़ुफ़िया नज़र रखी जा रही है, जिससे इस जीएसटी चोरी के मायाजाल को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकेइस बड़े खुलासे के बाद शहर के व्यापारियों में खलबली है। विभाग का साफ कहना है कि कर चोरी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों पर कड़ी कार्रवाई होगी

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