राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग का तीखा जवाब, 'या तो हस्ताक्षर करें, या देश से माफी मांगें'

अगर विपक्ष के नेता अपने विश्लेषण और निष्कर्षों को सही मानते हैं, तो उन्हें कानूनी रूप से शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए।"
नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर "वोट चोरी" और सत्तारूढ़ दल से "मिलीभगत" के गंभीर आरोप लगाने के बाद, आयोग के सूत्रों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने गांधी के विश्लेषण को चुनौती देते हुए दो टूक कहा है: अगर राहुल अपने आरोपों पर विश्वास करते हैं, तो उन्हें शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने चाहिए। अन्यथा, उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
 क्या है विवाद की जड़?
बीते दिन राहुल गांधी ने एक सार्वजनिक मंच से आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग निष्पक्षता छोड़कर भाजपा के पक्ष में काम कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि देश में लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश चल रही है, जिसमें संस्थाएं भी शामिल हैं। इसके जवाब में आयोग के सूत्रों ने कहा कि अगर विपक्ष के नेता अपने विश्लेषण और निष्कर्षों को सही मानते हैं, तो उन्हें कानूनी रूप से शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए।"
यह बयान सिर्फ एक खंडन नहीं, बल्कि एक चुनौती है—जो विपक्षी नेतृत्व को या तो अपने आरोपों को कानूनी रूप से साबित करने या सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए मजबूर करता है। यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता और पारदर्शिता को लेकर बहस तेज़ हो रही है। राहुल गांधी की ओर से फिलहाल कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यह स्पष्ट है कि यह टकराव सिर्फ एक व्यक्ति और संस्था के बीच नहीं, बल्कि लोकतंत्र की साख और संस्थागत जवाबदेही के बीच है।

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