मेरठ में गुंडागर्दी की हद! ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर के 'करीबी' ने पुलिस के सामने छात्र से सड़क पर रगड़वाई नाक!

ब्यूरो चीफ मेरठ योगेश कुमार 
मेरठ। शहर में कानून का राज किस तरह 'सत्ता के करीबी' गुंडों के पैरों तले रौंदा जा रहा है, इसका ताजा और शर्मनाक उदाहरण मेरठ के तेजगढ़ी क्षेत्र में देखने को मिला है। ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर के कार्यालय के ठीक नीचे एक होटल में हुए मामूली विवाद में, मंत्री के कथित करीबी और भाजपा से जुड़े छात्र नेता विकुल चपराणा ने अपने साथियों के साथ मिलकर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (CCSU) के चार छात्रों को न सिर्फ बेरहमी से पीटा, बल्कि उन्हें सरेआम सड़क पर घुटनों के बल बैठकर नाक रगड़ने और माफी मांगने पर मजबूर किया।प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह घटना मेडिकल थाना क्षेत्र के तेजगढ़ी स्थित एक होटल में 19 अक्टूबर को हुई।
विवाद की शुरुआत: होटल में खाना खा रहे CCSU के चार छात्रों की कहासुनी कार हटाने को लेकर कुछ अन्य युवकों से हो गई।
मंत्री के नाम की धमकी: आरोप है कि विवाद बढ़ने पर दूसरे पक्ष के युवकों ने खुद को ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर का 'करीबी' बताते हुए छात्रों को धमकाना शुरू कर दिया।
सरेआम मारपीट और अपमान: धमकी के बाद बात मारपीट तक पहुंच गई। मंत्री के समर्थक बताए जा रहे विकुल चपराणा और उसके साथियों ने छात्रों को पुलिस की मौजूदगी में ही जमकर पीटा।
शर्मनाक बर्ताव: इससे भी ज्यादा अपमानजनक तब हुआ जब गुंडों ने छात्रों को सड़क पर घुटनों के बल बैठाकर अपनी नाक रगड़ने और गालियां देते हुए माफी मांगने के लिए मजबूर किया। इस दौरान पुलिस एक बार भी गुंडों को रोकने या छात्रों को बचाने के लिए आगे नहीं आई।

 

कौन है विकुल चपराणा?
 

गुंडागर्दी का नेतृत्व करने वाला विकुल चपराणा CCSU का एक चर्चित छात्र नेता है, जो हाल के वर्षों में भाजपा समर्थक छात्र संगठनों से जुड़कर उभरा है। राजनीतिक गलियारों में उसे ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर का बेहद करीबी माना जाता है। इसी नज़दीकी के बल पर वह स्थानीय राजनीति और युवा मोर्चा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। आरोप है कि इसी राजनीतिक संरक्षण की आड़ में उसने और उसके साथियों ने कानून को हाथ में लिया।
पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल- 
इस पूरी घटना ने मेरठ पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मूकदर्शक पुलिस: पुलिस मौके पर मौजूद थी, फिर भी छात्रों को सरेआम अपमानित और प्रताड़ित किया गया। पुलिस ने न तो छात्रों को बचाया और न ही आरोपियों पर तत्काल कोई कार्रवाई की।
कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न: सत्ता के करीबी होने का दावा करने वाले गुंडों का यह दुस्साहस दिखाता है कि मेरठ में कानून व्यवस्था कितनी खोखली हो चुकी है। अगर पुलिस की मौजूदगी में यह हाल है, तो आम जनता की सुरक्षा का क्या?
किरकिरी के बाद गिरफ्तारी- 
वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही जनता में भारी आक्रोश फैल गया और पुलिस की किरकिरी होने लगी। चौतरफा दबाव के बाद, पुलिस ने खानापूर्ति करते हुए विकुल चपराणा को गिरफ्तार दिखाया है। लेकिन सवाल यह है कि अगर वीडियो वायरल नहीं होता और मामला सुर्खियों में नहीं आता, तो क्या पुलिस सत्ताधारी नेता के 'करीबी' पर कार्रवाई करती? यह घटना दर्शाती है कि मेरठ में कानून का राज नहीं, बल्कि राजनीतिक धौंस का राज चल रहा है।

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