यम-यमुना की कथा से जुड़ा है भाई दूज का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व!
संवाददाता-अबुल कैश
निजामाबाद, आजमगढ़। कस्बे और आसपास के क्षेत्रों में भाई दूज का पर्व परंपरागत और आस्था के साथ मनाया गया। इस अवसर पर बहनों ने अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना की। इसके बाद बहनों ने अपने हाथों से तैयार स्वादिष्ट भोजन कर भाइयों का सत्कार किया।
भाई दूज कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को मनाया जाता है और यह भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस दिन पूजा के लिए थाली में रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है। चावल से बना चौक तैयार किया जाता है, जिस पर भाई बैठते हैं और बहन शुभ मुहूर्त में तिलक करती है। इसके बाद भाई को गिफ्ट भेंट किए जाते हैं।
मान्यता है कि इसी दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर आए थे। यमुना ने यमराज का स्वागत कर भोजन कराया और तिलक किया। प्रसन्न होकर यमराज ने आशीर्वाद दिया कि इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी, उसके भाई पर कभी भय नहीं होगा। कहते हैं, इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।
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