मायावती ने अखिलेश को लिया आड़े हाथ_ मानस नहीं, संविधान कमजोरों का ग्रंथ -मायावती




मानस नहीं, संविधान कमजोरों का ग्रंथ -मायावती

लखनऊ। रामचरित मानस पर टिप्पणी को लेकर शुरू हुए विवाद में अब बसपा प्रमुख मायावती ने भी एंट्री ले ली है, बसपा प्रमुख  ने इस विवाद मंे कूदते हुए सपा पर करारा प्रहार किया है, उन्होंने कहा कि शुद्रों की वकालत करने से पहले सपा प्रमुख को गेस्ट हाउस कांड को याद कर लेना चाहिए। श्रीराम चरित मानस पर बयान से उपजे बवाल में अब  बसपा सुप्रीमो  मायावती भी कूद पड़ी हैं। उन्होंने देश के कमजोर व उपेशित वर्ग के लिए रामचरित मानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं है। बल्कि इस समाज का आदि और पवित्र ग्रंथ भारतीय संविधान है। जिसे बाबा साहेब डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने रचा। इसमें इस वर्ग को उन्होंने कभी शुद्र नहीं कहा। बल्कि इस वर्ग के लोगों ने एसीसी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। मायावती ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर हमला करते हुए कहा कि वर्ग को शुद्र कहकर सपा इनका अपमान न करें तथा न हीं संविधान की अवहेलना करें। मायावती ने शुद्रों की वकालत करने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को आड़े हाथों लेते हुए दो जून1995 को लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड की याद भी दिला दी। उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण,अन्याय, नाइंसाफी हो रही है। यहीं नहीं इन वर्गो मे जन्में महान संतो, गुरूओं व महापुरूषों आदि की भी उपेक्षा एवं तिरस्कार करने में ना तो कांग्रेस पीछे हैं और ना ही भाजपा व समाजवादी पार्टी ही। इससे बड़ी शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण बात कोई और नहीं हो सकती।


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