एक घर, दो कातिल और चाल लाशें - 6 महीने बाद खुला खूनी राज


नई दिल्ली। 24 साल पहले कत्ल का ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें एक नहीं बल्कि चार-चार कत्ल किए गए थे। वो भी एक ही घर में...... आज क्राइम कथा में कहानी ऐसी खूनी वारदात की जिसे सुनकर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है। झाारखंड की स्टील सिटी जमशेदपुर जहां शुभेंदु भौमिक का परिवार टेल्को इलाके में रहता था। उस परिवार में कुल मिलाकर पाॅच सदस्य थे। परिवार के मुखिया शुभेंदु भौमिक टेल्कों कंपनी में ही तैनात थे। जबकि उनकी पत्नी लकली घर संभालती थी। उनका 14 साल का बेटा कल्याण पढ़ रहा था और एक बेटी थी चैताली जो शहर के एक नामी कालेज में पढ़ती थी बच्चों की बुजुर्ग नानी अनिता भी उसके साथ रहती थी। उनका हंसता खेलता परिवार था। उस  दिन तक भी किसी ने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था, जो कुछ उनके साथ होने वाला था। कुछ ऐसा जो बहुत भयानक था।

कुछ बेचैन लग रही थी चैताली

 सर्दियों का मौसम था, दोपहर के करीब डेढ़ बज रह थे, शुभेंदु भौमिक अपने काम पर यानी कंपनी गए हुए थे उनका बेटा कल्याण भी घर से बाहर था, घर में केवल शुभेंदु की पत्नी लकी , बेटी चैताली और उनकी बुजुर्ग सास अनिता मौजूद थी। हर रोज की तरह उस दिन भी दोपहर में खाने के बाद बुजुर्ग नानी उपर पहली मंजिल पर अपने कमरे में आराम करने जा चुकीं थी। चैताली की मां लकी भी घर के कुछ काम में बिजी थी। लेकिन ऐसा लग रहा था कि मानों चैताली कुछ बेचैन थी , जैसे वो किसी का इंतजार कर रही हो,

घर में एक नौजवान की एंट्री

ज्ब उसकी मां ने घर के काम निपटा रही थी उसी दौरान चैताली चुपचाप आकर घर के दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई, वो लगातार रस्ते पर निगाहें लगाए बैठी थी वो सच किसी का इंतजार कर रही थी। कुछ देर बा उसका इंतजार खत्म हुआ और एक नौजवान शख्स उसके सामने खड़ा था। पहले उन दोनों ने वहां दबी आवाज में कुछ बाते की और उसके बाद वे घर मंे दाखिल हो गए। इस दौरान चैताली की मां को इस बात की बिल्कुल भी भनक नहीं लगी। जबकि उसकी नानी तो पहले ही अपने कमरे में सो रही थी।

घर में पहला कत्ल

ठसी बीच चैताली उस नौजवान को साथ लेकर मकान की पहली मंजिल पर बने उस कमरे में पहुंची, जहां उसकी नानी सो रही थी। उन दोनों को उपर जाते वक्त किसी ने नहीं देखा अब चैताली और वो नौजवान नानी के कमरे मे थे। नानी गहरी नींद मे थी। तभी अचानक वो दोनों नानी पर झपटे  पहले उन दोनों ने नानी का मुंह और नाक दबा दिया वो तड़पने लगी। उनकी आवाज भी नहीं निकली  और दम घुटने की वजह से उनकी मौत हो चुकी थी। उनका जिस्म ठंडा पड़ चुका था। अब बिस्तर पर बुजुर्ग अनीता नहीं बल्कि उनका मुर्दा जिस्म पड़ा था।


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