आखिर कब तक होगा दलितों पर अत्याचार........?

क्या ऐसे ही सपनों का भारत बनाना चाहते थे हमारे  महापुरुष  आजाद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद.............?

Editor in chief -Manish Kumar 

लखनऊ। भारत देश को आजाद हुए लगभग 75 साल हो गए लेकिन दलितों की दयनीय स्थिति अभी वैसी की वैसी ही बनी हुई है लेकिन इसके विरोध में कोई भी ऐसा कानून नहीं बनाया जा सका जिससे कि दलितों पर अत्याचार हो रहे अपराध को रोका जा सके और दलित समाज को सम्मान रहने का अवसर मिल सके सरकारी तो कई बदली लेकिन दलित समाज की किस्मत नहीं बदल सकती आज भी दर.दर की ठोकरें और मनुवादी सोचो से पिटना पड़ रहा है सरकार के नुमाइंदे एक ओर जहां दावा करते  नहीं थकते कि अब नहीं होता है दलितों पर जाति के नाम पर अत्याचारण् तो वहीं दूसरी तरफ देश के अलग.अलग हिस्सों में कई ऐंसी घनाएं देखने और पढ़ने को मिलती हैए कि दलितों के उपर केवल जाति के नाम पर अत्याचार ढहां जा रहा है। ऐसा लगता है कि इनकी किस्मत में ही लिखा है मार खाना और प्रताड़ना सहना ऐसे अत्याचारों के खिलाफ जब भी कोई नेता या समाजसेवी आवाज उठाता है तो उसके खिलाफ सरकार ही जाती है '


और उसके पीछे ईडी सीबीआई जैसे कई एजेंसियों को लगा देती है लेकिन कोई भी ऐसा ठोस कदम नहीं उठाती कि जिससे कि अपराध करने वालों पर कोई  ठोस कार्यवाही हो सके जिससे कि अपराधियों का मनोबल टूटे  लेकिन होता है बिल्कुल इसके विरुद्ध जब जब चुनाव आता है तो इन दलितों को हिंदू भाई का कर पुकारा जाता है' लेकिन जैसे ही चुनाव बीतता है तो एहसास होता है कि यह हिंदू नहीं यह दलित है क्योंकि इन पर हमला होने के बाद कोई भी अपने को हिंदू कहने वाला संगठन इनके समर्थन में नहीं उतरताण् लेकिन जब भी कोई दलित एससी एसटी की बात करता है कई समाजसेवी और राजनेता उनके विरोध में बोलना शुरू कर देते हैं लेकिन  इसके विरूद्ध जब कोई दलित प्रताड़ना का शिकार होता है तो कोई भी राजनेता इनकी आवाज उठाने को नहीं तैयार होता  इसका ताजा उदाहरण देखा जाए तो भाजपा सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ के घर गाजीपुर टंडवा गांव में होली पर्व पर ऐसा ही जुल्म देखने को मिला जहां दलितों के साथमारपीट की गई और महिलाओं के साथ बदसलूकी की गई मारपीट में कई लोग घायल हो गए क्या यही चंद्रशेखर आजाद और  डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के सपनों का भारत है क्या ऐसे ही सपनों का भारत बनाने के लिए आजाद भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद और सुभाष चंद्र बोस ने अपने प्राणों की आहुति दे दी  ? इसका इन महापुरुषों के सपनों को क्या कभी साकार होता देखा जा सकता है ऐसी घटनाओं का  गुनाहगार कौन .........?

ऐसी घटनाओें से कैसे बचेे दलित समाज..........?

ऐसी घटनाओं से बचने के लिए डाॅ0 अम्बेडकर की दिये हुए मंत्र को अपनाना होगा, जिसे डाॅ0 अम्बेडकर ने बताया था कि शिक्षत बनो संगठित रहे और संघर्ष करों, इन लाइनों को अपने जीवन में उतारकर दलित समाज अपने उपर हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न से बच सकता है। क्योकि टूकड़ो में बटे समाज पर हमेशा अत्याचार होता रहा है। अत्याचार से बचने के लिए संगठित रहना अति आवश्यक है।




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