'मैं कल भी बन के देखूं मैं आज बन के देखूं मीरा भी बन के देखूं मुमताज बना के देखूं'

ग़ज़ल संध्या एवं कवि गोष्ठी का आयोजन नगर के प्रतिष्ठित ऑडिटोरियम नेहरू हाल के सभागार में संपन्न हुआ। 
आजमगढ़। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा आजमगढ़ के तत्वावधान में देर शाम ग़ज़ल संध्या एवं कवि गोष्ठी का आयोजन नगर के प्रतिष्ठित ऑडिटोरियम नेहरू हाल के सभागार में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण ,दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ ।वीणा वादिनी वर दे गाकर कौशल राय में मां सरस्वती का आवाह्न किया तत्पश्चात जनपद के प्रसिद्ध गजल /गीत के स्वर साधकों द्वारा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के सदस्यों के गीत/ गजलों को अपना स्वर देकर के समा बांध दिया गया। सर्वप्रथम सपना बनर्जी ने प्रसिद्ध गजलकार डाॅ आशा सिंह की गजल 'मैं कल भी बन के देखूं मैं आज बन के देखूं मीरा भी बन के देखूं मुमताज बना के देखूं' गाकर सभागार में उपस्थित प्रत्येक श्रोता को संजीदा कर दिया तत्पश्चात दिनेश श्रीवास्तव दानिश की गजल 'तेरे अल्फ़ाज़ मेरी रूबरू होते क्यों है मेरी नजरों में मगर धुंधले होते क्यों है' को स्वर देकर माहौल को नई ऊंचाई प्रदान किया तत्पश्चाप गीतकार /गजलकार विजयेंद्र प्रताप श्रीवास्तव करुण की गजल 'किसी दिल के दिल्लगी से कई गांव जल रहे हैं मेरे पांव के सहारे कई पांव चल रहे हैं' सुना कर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया। इसके पश्चात जनपद के प्रतिष्ठित गायक सौरभ श्रीवास्तव ने डॉक्टर आशा सिंह की गजल 'वह नया किरदार मुझ में ढूंढता है जादुई संसार मुझ में ढूंढता है सुना कर समां बांध दिया, दिनेश श्रीवास्तव दानिश की गजल 'आंख में आज कुछ नमी सी है धुंध मंजर से कुछ हटी सी है 'को स्वर देकर माहौल को बेहतरीन बना दिया तत्पश्चात विजयेंद्र प्रताप श्रीवास्तव करुण की गजल' थके हैं पांव अगर तो जरा संभल के चलो चले हो एक ही रास्ते पर अब बदल के चलो' सुना कर पूरे सभागार को तालिया के गड़गड़ाहट में बदल दिया ।अंत में सौरभ श्रीवास्तव ने उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संरक्षक प्रभु नारायण पांडे प्रेमी का गीत' जब रात हमारी हो न सकी तो प्रात हमारा क्या होगा' सुना कर लोगों का मन जीत लिया । इसी बीच जनपद की बिटिया कुमारी निमिषा सिंह को उसके उल्लेखनीय कार्य के लिए उत्तर प्रदेश साहित्य सभा आजमगढ़ द्वारा सम्मानित किया गया एवं उसके उज्जवल भविष्य की कामना की गई । तत्पश्चात एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य रूप से संजय पांडे सरस, (मंडल संयोजक ),रुद्रनाथ चौबे रुद्र, राकेश पांडे सागर ,रत्नेश राय ,कौशल राय ,सोहन लाल गुप्ता, श्रीमती शालिनी राय, श्रीमती बृजबाला ,संतोष पांडे, अनुपम पांडे ,आदित्य आज़मी, अजय कुमार पांडे, संदीप गांधी नेहाल आदि कवियों ने काव्य पाठ कर देर रात तक श्रोताओं को बांधे रखा ।कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने-माने कवि/ साहित्यकार प्रभु नारायण पांडे प्रेमी ने किया तथा मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉक्टर प्रवेश कुमार सिंह थे।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन दिनेश श्रीवास्तव दानिश ने तथा द्वितीय सत्र का संचालन विजयेंद्र प्रताप करुण ने किया। ग़ज़ल संध्या के स्वर साधकों के साथ तबले पर सूरज मिश्रा ने तथा सिंथेसाइजर पर रवि श्रीवास्तव ने संगत किया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से संदीप राय ,डॉ मनीषा मिश्रा, विदुषी अस्थान, स्नेह लता राय, पीयूष श्रीवास्तव, अरुणिमा सिंह, सुधांशु श्रीवास्तव, सावन चौहान, सुधा सिंह ,अलका राय ,वीरेंद्र यादव इत्यादी की उपस्थित सराहनी रही।

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