मृत्यु भोज जैसे क्रूर अमानवीय कुरीति का विरोध व शोषण विहीन समाज निर्माण की जरूर!

समाज के अंदर अंधविश्वास , ढोंग-पाखंड जैसे हानिकारक विश्वास प्रणाली का विरोध होना चाहिए: कामरेड नंदलाल

अजमतगढ़/आजमगढ़। किसान मजदूर आंदोलन के नेतृत्वकारी कॉमरेड दुखहरन सत्यार्थी जी ने अपने शरीर को मृत्यु उपरांत किसी जरूरतमंद के लिए और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए मेडिकल कॉलेज चक्रपानपुर, आजमगढ़ को दान देने का मानव उपयोगी फैसले के बाद "विज्ञान विरोधी शिक्षा-संस्कृति, अंधविश्वास, पाखंड और मृत्यु भोज जैसे क्रूर और अमानवीय कुप्रथा को खत्म करने का "संकल्प कार्यक्रम" को  जनसभा के रूप में सम्पन्न हुआ । सबने इस दृढ और विज्ञान पक्षीय संकल्प की सराहना की। सभी से विज्ञान और तर्क आधारित एक प्रगतिशील , वैज्ञानिक और शोषणविहीन समाज बनाने के संघर्ष का साथी होने की उम्मीद रखते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रचार-प्रसार व शोषणविहीन समाज व्यवस्था के निर्माण के लिए नरहनखास ग्राम पंचायत में हुए विशाल जनसभा में संकल्प लिया।
जनसभा के आयोजक  प्रगतिशील व समाजिक कार्यकर्ता दुखहरन सत्यार्थी ने बताया कि अंधविश्वास , ढोंग -पाखंड व मृत्यु भोज (तेरहवीं ) की खर्चीली और क्रूर अमानवीय कुप्रथाओं का विरोध होना चाहिए। समाज में गरीबी-अमीरी के बीच बढ़ती खाई और ज्यादा चौड़ी व गहरी होती जा रही है। मेहनतकश जनता को ना तो चंद मुट्ठीभर धन्नासेठों द्वारा खर्चीली और विलासितापूर्ण उपभोक्तावादी जीवन शैली के प्रदर्शन की नकल  की कोई जरूरत है और ना ही मृत्यु भोज या ब्रह्म भोज जैसी अंधविश्वास, ढोंगी -पाखंडी कुप्रथा का पालन करने की। हमें तर्क, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर जीवन यापन करते हुए शोषणविहीन समाज व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत में दुखहरन सत्यार्थी के जीवनसंगिनी सहित अंधविश्वास निर्मूलन समिति के संस्थापक  डॉ नरेंद्र दाभोलकर,कामरेड गोविंद पंसारे,एम. एम. कलबुर्गी ,गौरी लंकेश जैसे शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कॉमरेड नंदलाल ने कहा कि  समाज के अंदर अंधविश्वास , ढोंग-पाखंड जैसे हानिकारक विश्वास प्रणाली का विरोध होना चाहिए। अंधविश्वास के कारण लोगों के सामाजिक अन्याय में बढ़ोतरी के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक कष्ट, चिंता और बेवजह तनाव, तर्कहीन निर्णय और स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बढ़ता जा रहा उत्पन्न है । इसीलिए जनता में अपील किया गया कि भारतीय संविधान के
अनुच्छेद 51A के तहत मौलिक कर्तव्य के पालन पर जोर देना चाहिए। इसके तहत चाहे सरकारी संस्थान हो या धार्मिक या निजी संस्थान हर जगह पर भावी पीढ़ी के अंदर वैज्ञानिक चेतना मानवता और तार्किकता का प्रचार प्रसार होना चाहिए। लेकिन वर्तमान समय में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 ए का पालन करना भी कठिन होता जा रहा है । चौधरी राजेन्द्र जी ने कहा कि आज  तर्क व आलोचना करने वाले लोगों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं और अंधविश्वास को फैलाने में शासन सत्ता के नामी गिरामी  बाबा, राजनेता और जज, प्रशासन के लोग भी शामिल हैं। ऐसे में हम चुनौतीपूर्ण समय में संकल्प लें रहे हैं।

डॉ. असीम सत्यदेव जी ने कहा कि ये कार्यक्रम समाज को पाखंड और अंधविश्वास मुक्त करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सभी को अपने निजी जिंदगी में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए। कॉमरेड सत्यदेव पाल जी ने एक वैज्ञानिक और शोषणविहीन समाज के निर्माण के संघर्ष में आ रही हर बाधाओं व गलत विचारों-परंपरा को खत्म करने का आहवान किया। साथ ही समाज में जारी विज्ञान आंदोलन के संघर्ष में शहीद सभी क्रांतिकारियों को सलामी पेश करते हुए कहा कि हमें समस्याओं को खत्म करने के वैज्ञानिक विचारधारा यानी मार्क्सवाद-लेनिनवाद को पढ़ने, अपनाने, लागू करने और उसके आधार पर संगठित होकर संघर्ष करके ही पूरे समाज मे व्याप्त अंधविश्वास, पाखंड, अन्याय, जुल्म को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है। विज्ञान और उसके अविष्कारों पर मजदूर वर्ग का नियंत्रण होने से ही वो अपने वर्ग के मुक्ति, खुशहाली और साथ ही समाज को उन्नत बनाने के कार्य को सफल कर सकेगा। इसलिए मजदूर वर्ग के शोषणविहीन समाज की स्थापना से ही हमारे सभी समस्याओं का वैज्ञानिक हल हो सकेगा।

कॉमरेड रामजी सिंह ने कहा कि भारत सहित पूरी दुनिया में हर प्रकार के अन्याय, जुल्म, गैरबराबरी व शोषण-उत्पीड़न को खत्म करने का वैज्ञानिक विचारधारा मार्क्सवाद-लेनिनवाद है। इसी विचारधारा से समूचे मजदूर वर्ग को शोषण-उत्पीड़न से हमेशा के लिए मुक्ति मिल सकेगी। एक वैज्ञानिक व शोषणविहीन समाज बनाने के इस रास्ते से हमें गुमराह करने वाले सभी विरोधी विचारधाराओं, संगठनों, अंधविश्वास, पाखंडवाद आदि का पुरजोर विरोध करना होगा। मजदूर वर्ग के हर साथी के खुशहाल, सुरक्षित व गरिमापूर्ण जीवन की गारन्टी हासिल करने के लिए हमें वैज्ञानिक विचारधारा यानी मार्क्सवाद को स्वीकार कर खुद को संगठित कर संघर्ष करने की जरूरत आ पड़ी है। ऐसे कार्यक्रमों के द्वारा हमें निरंतर विज्ञान आंदोलन को मजबूत करना चाहिए। 

कार्यक्रम में चंद्रावती जी ने अंधविश्वास को चोट करते हुए जनगीत और संदीप ने "ले मशाले चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के..."  पेश किया। कार्यक्रम में बिरहा गायक श्री किशुन, राजदेव, प्रोफेसर चंदन, प्रोफेसर जितेंद्र कुमार नूर , डॉ.सुनीता, डॉ.रामनरेश राम, डॉ.असीम सत्यदेव, का. सत्यदेव पाल, चौधरी राजेंद्र, का. बचाऊ राम, रामनयन यादव, अरविंद भारती, कामरेड क्रांति नारायण सिंह, जयराम पटेल, कामरेड नंदलाल , अभिमन्यु, का. अमृत, रामकुमार यादव , राहुल विद्यार्थी, अमित, चंद्रावती, भरत शर्मा, तेज नारायण सिंह, सूबेदार यादव, रामाश्रय यादव, फूलमती जी ने भी संबोधित किया।

और अखिलेश भारती, बिरजू,  ओमप्रकाश भारती, अर्जुन, तारा, कालिंदी, बिंदु , हरिहर, निर्मल प्रधान, पंकज, दुर्गविजय, अभीराज , रमेश यादव, अजीत गुड़िया , प्रसाद भारती , गुलाब, प्रशान्त, श्रेय, संदीप, मुकेश यादव, वीरेंद्र यादव, ओपी शर्मा सहित सैकड़ों लोग भी उपस्थित रहें । कार्यक्रम का संचालन राजेश आजाद और तेज बहादुर ने किया। कार्यक्रम में अनुशासन के लिये का.राम जी सिंह, डॉक्टर असीम सत्यदेव और का. सत्यदेव पाल का अध्यक्ष मंडल मौजूद रहा।

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