मायावती की रणनीति चंद्रशेखर आजाद पर भारी पड़ी।

विश्वनाथ पाल ने दिया भीम आर्मी को झटका।
 (ब्यूरो प्रमुख-मनीष कुमार)
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती के लंबे समय तक निष्क्रिय रहने के कारण पार्टी के जनाधार में गिरावट देखी गई थी। इसी दौरान, चंद्रशेखर आजाद की भीम आर्मी ने आजाद समाज पार्टी का गठन किया, जिससे यह चर्चा तेज हो गई कि मायावती की जगह अब चंद्रशेखर आजाद ले सकते हैं और बसपा का स्थान आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी ले सकती है। हालांकि, मायावती ने एक रणनीतिक कदम उठाया, जिससे चंद्रशेखर आजाद को कड़ी चुनौती मिली। उन्होंने बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल को जनसंपर्क बढ़ाने का निर्देश दिया। इसके बाद, विश्वनाथ पाल दलित, शोषित और वंचित समाज पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ सक्रिय रूप से पीड़ित परिवारों तक पहुंचने लगे और न्याय दिलाने का कार्य करने लगे। उनके हस्तक्षेप से प्रशासन भी तेजी से कार्रवाई कर रहा है, जिससे आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी हो रही है।  
इस सक्रियता का सीधा असर भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी पर पड़ा। पहले, बसपा की निष्क्रियता के कारण बड़ी संख्या में युवा भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी से जुड़ रहे थे, लेकिन अब विश्वनाथ पाल की सक्रियता के चलते सरकार पर दबाव बढ़ रहा है और बसपा को नई ऊर्जा मिल रही है। इससे प्रभावित होकर कई भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के पदाधिकारी बसपा में शामिल हो रहे हैं।  
इससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले समय में चंद्रशेखर आजाद की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि बसपा जितनी मजबूत होगी, उसका सीधा असर आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी पर पड़ेगा।  

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