कौशांबी कांड: पाल समाज के सम्मान और सियासत की चौराहे पर न्याय की गुहार।

आरोपी के घर पहुंचे सपा के ब्राह्मण नेता पवन पांडेय ने भी मदद और समर्थन का भरोसा दिलाया। 
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दो नावों में सवारी” एक पूरी जाति की समझ और सम्मान के साथ खिलवाड़ है।
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बहुजन समाज पार्टी ने इस घटना में áसाफ रुख अपनाया है।
( ब्यूरो प्रमुख- मनीष कुमार) 
कौशांबी। जिले में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुई अमानवीय घटना के बाद राजनीति गर्माई हुई है। सबसे ज़्यादा चर्चा समाजवादी पार्टी की भूमिका को लेकर है, जिस पर गडरिया (पाल) समाज ने दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। एक ही दिन में सपा ने दो टीमें बनाई—एक को पीड़ित परिवार के पास भेजा, तो दूसरी को आरोपी के घर। पीड़िता के यहां पहुँचे राकेश बघेल, जो खुद पाल समाज से हैं, ने 25,000 की सहायता राशि देते हुए पार्टी की ओर से हरसंभव सहयोग का वादा किया। वहीं, आरोपी के घर पहुंचे ब्राह्मण नेता पवन पांडेय ने भी मदद और समर्थन का भरोसा दिलाया—बताया जा रहा है कि यहां 30,000 की मदद पहुंचाई गई। 
यह घटनाक्रम गडरिया समाज में आक्रोश पैदा कर गया है। उनका कहना है कि यह “दो नावों में सवारी” एक पूरी जाति की समझ और सम्मान के साथ खिलवाड़ है। इस बीच बहुजन समाज पार्टी ने साफ रुख अपनाया है। उनकी टीम ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर आश्वासन दिया कि बसपा सिर्फ़ पीड़िता और न्याय के साथ खड़ी है—यह सिर्फ़ अपराध नहीं, पाल समाज की अस्मिता का सवाल है। बसपा समर्थकों का मानना है कि भाजपा और सपा दोनों ने इस घटना को ‘मैनेज’ करने की कोशिश की, और दोषी के प्रभाव को देखते हुए न्याय की राह को ही भटका दिया गया है।
 दलित समुदाय में भी सपा की यह नीति चिंता का विषय बन रही है। अब देखना यह होगा कि इस सियासी उलझन में क्या पीड़िता को न्याय मिलेगा या एक बार फिर सामाजिक प्रतिष्ठा और जातिगत सम्मान सियासत की बिसात पर कुर्बान हो जाएगा।

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