“यह सभा कोई रस्म नहीं, चेतावनी है” — आकाश आनंद
हम सत्ता के लिए नहीं, सम्मान के लिए लड़ रहे हैं:आकाश आनंद
छत्रपति शाहू जी महाराज केवल शासक नहीं, बल्कि सामाजिक समानता के पहले क्रांतिकारी थे।
पटना | बिहार की राजधानी आज इतिहास बन गया। श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती समारोह केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि बहुजन चेतना के नवजागरण का शंखनाद साबित हुआ। हजारों की संख्या में उमड़े जनसमूह ने इस ऐतिहासिक दिन को सामाजिक बदलाव की नई इबारत में बदल दिया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहे बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद, जिनके ओजस्वी वक्तव्य ने हजारों युवाओं, महिलाओं, किसानों और वंचित समाज को नई ऊर्जा से भर दिया। उनके आगमन के साथ सभागार “जय भीम”, “बाबा साहेब अमर रहें” और “जय भारत” जैसे नारों से गूंज उठा।
छत्रपति शाहू जी महाराज को “आरक्षण के जनक” के रूप में याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वे केवल शासक नहीं, बल्कि सामाजिक समानता के पहले क्रांतिकारी थे। आज जब सामाजिक न्याय फिर से निशाने पर है, उनका दर्शन पहले से ज़्यादा प्रासंगिक है। अपने भाषण में श्री आनंद ने साफ कहा, “हम सत्ता के लिए नहीं, सम्मान के लिए लड़ रहे हैं। यह संघर्ष असमान सोच और बहुजन विरोधी मानसिकता के खिलाफ है।” उन्होंने बाबा साहेब, कांशीराम और शाहू जी के विचारों को युवाओं का प्रेरणास्त्रोत बताया।
बहन कु. मायावती जी के नेतृत्व में उभरते युवा चेहरे आकाश आनंद को सुनने के लिए उमड़े जनसैलाब ने यह साफ कर दिया कि अब बहुजन समाज अपने अधिकार और प्रतिनिधित्व को लेकर और अधिक सजग है। कार्यक्रम में महिलाओं, छात्रों और किसानों की उल्लेखनीय भागीदारी ने बहुजन आंदोलन की व्यापकता को रेखांकित किया।
इतिहास गवाह रहा है कि जब भी बदलाव की बयार उठी है, बिहार उसका केंद्र बना है। आज नीले झंडों से सजी दीवारों, बुलंद नारों और विचारशील भाषणों के बीच यही संदेश स्पष्ट हुआ — यह केवल उत्सव नहीं, चेतना का प्रस्फोट था।
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