अब सवाल सिर्फ इतना नहीं कि सुरक्षा कहाँ दी गई — सवाल यह भी है कि सुरक्षा किससे छीनी गई।
सुरक्षा का असली रिकॉर्ड तब बनता है जब हर बेटी बेख़ौफ़ घर लौटे
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सड़कों पर कांवड़ यात्रा में शिवभक्तों की सेवा में जोश से डटे कमांडो दस्ते ने एक नया ‘रिकॉर्ड’ कायम कर दिया है। भक्ति की रक्षा में राज्य की पूरी सुरक्षा व्यवस्था झोंक दी गई। मगर वही राज्य, जहाँ बलात्कार और अपराध की घटनाओं में आए दिन इज़ाफ़ा होता है, वहाँ बहन-बेटियाँ अब भी चीख़ते सवाल बनकर रह गई हैं— कहाँ है उनका कमांडो दल? "हमने बहुत सारे रिकॉर्ड देखे हैं। सबसे लंबी मूंछें, सबसे तेज़ दौड़—पर यह शायद पहला मौका है। जब सुरक्षा बलों को धर्म आधारित ‘कन्वॉय प्रोटेक्शन यूनिट’ में तब्दील किया गया है। अगर यही कमांडो ‘कांवड़ियों के चरण’ छोड़कर गलियों और स्कूलों में बहनों की हिफ़ाज़त में तैनात किए गए होते, तो शायद अख़बारों में बलात्कार की हेडलाइन की जगह ‘अपराध-मुक्त प्रदेश’ की खबर छपती। क्योंकि सुरक्षा का असली रिकॉर्ड तब बनता है जब हर बेटी बेख़ौफ़ घर लौटे — ना कि जब हर कांवड़ यात्री को Z+ सुरक्षा मिलती है।
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