कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
स्कूलों के विलय को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया, और अगली सुनवाई की तारीख 21 अगस्त तय की गई है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 5000 प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की योजना पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अस्थायी रोक लगाते हुए राज्य को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सीतापुर जिले के स्कूलों के विलय को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया, और अगली सुनवाई की तारीख 21 अगस्त तय की गई है। राज्य सरकार का कहना है कि कम नामांकन वाले स्कूलों को पास के अन्य विद्यालयों में मिलाकर संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जाएगा। लेकिन कई सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने इस कदम को गरीब और ग्रामीण बच्चों को शिक्षा से दूर करने वाला बताया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इस फैसले से बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ स्कूल तक पहुँचना पहले से ही चुनौतीपूर्ण है।
विपक्षी नेताओं ने इस निर्णय को संविधान विरोधी करार देते हुए कहा कि यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के खिलाफ है। उनका आरोप है कि सरकार शिक्षा के निजीकरण की ओर बढ़ रही है, जिससे गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित किया जा सकता है।
कई अभिभावकों ने कहा कि स्कूल बंद होने से बच्चों को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे उनकी सुरक्षा और पढ़ाई दोनों प्रभावित होंगी। शिक्षक संगठनों ने भी इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचने की संभावना भी रखता है, जहाँ शिक्षा के अधिकार और नीति के संतुलन पर गहन चर्चा हो सकती है।
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