जातिवार जनगणना, प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण, EVM की पारदर्शिता पर सवाल, संविधान की मूल भावना की रक्षा के लिए संगठित संघर्ष का संकल्प।
बहराइच। उत्तर प्रदेश के जिला बहराइच में आयोजित "अस्तित्व बचाओ–भाईचारा बनाओ" प्रबुद्ध जनसम्मेलन में सामाजिक न्याय, लोकतंत्र की पारदर्शिता और संविधान की सुरक्षा जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई, जिसमें वक्ताओं ने ओबीसी की जातिवार जनगणना को जानबूझकर टालने पर केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए इसे बहुजन समाज के अधिकारों को दबाने का सोचा-समझा षड्यंत्र बताया; वहीं आरक्षण को कमजोर करने की नीतियों के खिलाफ जागरूक और संगठित रहने का आह्वान करते हुए बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का संकल्प दोहराया गया, साथ ही इविम प्रणाली के उपयोग को चुनावी पारदर्शिता और जनविश्वास के विरुद्ध बताते हुए पारंपरिक मतदान व्यवस्था को बहाल करने की मांग उठाई गई; दलित, पिछड़े, आदिवासी और मुस्लिम समाज पर बढ़ते अत्याचारों को संविधान पर सीधा हमला मानते हुए सभी वर्गों को एकजुट होकर संघर्ष करने का आग्रह किया गया। सरकारी क्षेत्र के निजीकरण के चलते घटते आरक्षण अवसरों को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण लागू करने की ज़रूरत पर बल देते हुए मंडल कमीशन की सिफारिशों का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन आवश्यक बताया गया ताकि समावेशी विकास, सामाजिक समरसता और बहुजन उत्थान के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके—इस सम्मेलन ने एक बार फिर यह साबित किया कि संवैधानिक चेतना और सामाजिक न्याय के लिए आवाज़ उठाना आज के भारत में पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।
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