अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए तंज कसा कि पूजा पाल को पहले अपनी टिकट पक्की करा लेनी चाहिए थी।
पार्टी पीडीए की बात करती है, लेकिन जब पीडीए के लोग मारे जाते हैं तो चुप रहती है : पूजा पाल
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस वक्त भूचाल आ गया जब प्रयागराज की विधायक पूजा पाल को समाजवादी पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया। विधानसभा के मॉनसून सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कानून व्यवस्था और अतीक अहमद के खिलाफ कार्रवाई की सराहना करना उन्हें महंगा पड़ गया। पूजा पाल ने सदन में कहा, “जिस दिन मुख्यमंत्री ने अतीक अहमद को मिट्टी में मिलाया, उसी दिन से मैं उनकी तारीफ कर रही हूं। आज मुझे लगा कि धन्यवाद देने का सही मौका है।” उन्होंने आगे कहा कि मैं सिर्फ विधायक नहीं हूं, मैं उन हजारों पीड़ित महिलाओं की आवाज हूं जिन्हें न्याय दिलाने का काम योगी सरकार ने किया है।
पूजा पाल ने सपा पर तीखा हमला करते हुए कहा, “पार्टी पीडीए की बात करती है, लेकिन जब पीडीए के लोग मारे जाते हैं तो चुप रहती है। मेरे पति राजू पाल, उमेश पाल—सब इसी वर्ग से थे। सपा अपराधियों के साथ खड़ी है, पीड़ितों के साथ नहीं।” अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए तंज कसा कि पूजा पाल को पहले अपनी टिकट पक्की करा लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि शायद अब बीजेपी उनकी टिकट भी पक्की कर दे। सपा की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि पूजा पाल को कई बार चेताया गया, लेकिन उन्होंने पार्टी विरोधी गतिविधियां जारी रखीं। इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी और सभी पदों से निष्कासित किया गया है। पूजा पाल का यह बयान और निष्कासन सिर्फ एक विधायक की कहानी नहीं है—यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में न्याय, पीड़ा और सियासी नैतिकता की टकराहट बन चुका है।
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