अमेरिकी टैरिफ से बढ़ा वैश्विक तनाव, तेल बाजार में हलचल संभव।
कूटनीति की कसौटी पर भारत-अमेरिका संबंध, नजरें शुक्रवार की वार्ता पर।
नई दिल्ली। अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा व्यापार को लेकर तनाव बढ़ता दिख रहा है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका ने सेकेंडरी टैरिफ लगाए हैं, और यदि आगामी बातचीत सकारात्मक नहीं रही तो ये टैरिफ और प्रतिबंध और भी सख्त किए जा सकते हैं। बेसेंट ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस पर लगे प्रतिबंधों की दिशा इस बात पर निर्भर करेगी कि शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात से क्या नतीजा निकलता है। इस बयान के बाद भारत ने इन टैरिफों का कड़ा विरोध दर्ज कराया है, जिसे उसने अपनी ऊर्जा स्वतंत्रता और रणनीतिक हितों पर सीधा हमला बताया है। भारत का कहना है कि वह वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपने हितों के अनुसार निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, और किसी भी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब दुनिया भर में ऊर्जा आपूर्ति और भू-राजनीतिक समीकरणों में अस्थिरता बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका ने भारत पर दबाव बढ़ाया तो इससे न केवल द्विपक्षीय संबंधों में खटास आ सकती है, बल्कि वैश्विक तेल बाजार में भी उथल-पुथल संभव है। अब सबकी निगाहें ट्रम्प-पुतिन वार्ता पर टिकी हैं, जो इस पूरे विवाद की दिशा तय कर सकती है।
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