लाहीडीह बाजार की सड़क बनी जानलेवा चुनौती, प्रशासन की चुप्पी से जनता में आक्रोश।


"हर गड्ढा एक जख्म है—लाहीडीह मांगता है जवाब!"  
— सड़क संकट पर स्थानीयों का फूटा गुस्सा, सोशल मीडिया पर
जहाँ हर कदम खतरा है, वहाँ प्रशासन की चुप्पी अपराध है!
सड़क नहीं सुधरी तो क्षेत्रवासी करेंगे आंदोलन !
संपादक: मनीष कुमार 
आजमगढ़। जनपद के निजामाबाद से फूलपुर रोड पर स्थित लाहीडीह बाजार की सड़क वर्षों से बदहाल स्थिति में है, और अब यह सिर्फ एक विकासहीनता का प्रतीक नहीं, बल्कि एक जानलेवा चुनौती बन चुकी है। रोज़ाना पांच से दस लोग इस गड्ढों से भरी, उखड़ी हुई सड़क पर गिरकर घायल हो रहे हैं—कभी बुज़ुर्ग की हड्डी टूटती है, कभी स्कूली बच्चे की साइकिल फिसलती है, तो कभी गर्भवती महिला को चोट लगती है। यह सड़क अब एक सार्वजनिक संकट बन चुकी है, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। स्थानीय सामाजिक संगठनों, व्यापारियों और क्षेत्रवासियों ने बार-बार शिकायतें दर्ज कीं, ज्ञापन सौंपे, और सोशल मीडिया पर वीडियो व तस्वीरें वायरल कीं, लेकिन न तो कोई निरीक्षण हुआ, न ही मरम्मत की कोई योजना सामने आई। बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है—सड़क पर पानी भर जाता है, और गड्ढे अदृश्य हो जाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है। पूर्वांचल किसान यूनियन, सोशलिस्ट किसान सभा और अन्य संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर आवाज़ उठाई है। उन्होंने मांग की है कि लाहीडीह से माहुल तक की सड़क को हार्ड मिक्स मटेरियल से बनाया जाए और सीवर लाइन की समुचित व्यवस्था की जाए। क्षेत्रीय जनता अब पदयात्रा, धरना और आंदोलन की तैयारी में है, क्योंकि उन्हें लगने लगा है कि बिना जनदबाव के प्रशासन जागेगा नहीं। यह सवाल अब सिर्फ सड़क का नहीं, बल्कि जनता की गरिमा, सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही का है। आखिर कब तक जनता को इस नारकीय रास्ते से गुजरना पड़ेगा? कब तक उनकी आवाज़ अनसुनी की जाएगी? और कब तक विकास सिर्फ कागज़ों पर रहेगा? यह खबर एक चेतावनी है—अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सड़क सिर्फ लोगों को घायल नहीं करेगी, बल्कि प्रशासन की संवेदनहीनता को भी बेनकाब करती रहेगी।

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