सत्य प्रकाश गौतम का तीखा हमला: उदित राज, रतनलाल और BSP नेतृत्व पर सवालों की बौछार।

प्रतिनिधित्व नहीं, नेतृत्व चाहिए—अब बहुजन समाज बोलेगा बेबाक!
उदित राज और रतनलाल पर करारा प्रहार—अब आंदोलन की दिशा बदलेगी!
नई दिल्ली। बहुजन आंदोलन के तेजस्वी स्वर सत्य प्रकाश गौतम ने DNN पॉडकास्ट में एक ऐसा बयान दिया जिसने बहुजन राजनीति की परतें उधेड़ दीं। उन्होंने कांग्रेस नेता उदित राज और प्रो. रतनलाल को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि ये दोनों नेता बहुजन चेतना को सत्ता की चकाचौंध में गुम करने की कोशिश कर रहे हैं। गौतम ने उदित राज की पाकिस्तान संबंधी टिप्पणियों को “राजनीतिक नौटंकी” करार दिया और रतनलाल के बयानों को “भावनात्मक शोषण” बताते हुए कहा कि ये लोग आंदोलन की आत्मा को बाज़ारू बना रहे हैं। गौतम यहीं नहीं रुके—उन्होंने बसपा के वरिष्ठ नेताओं की चुप्पी और अवसरवादिता पर भी तीखा प्रहार किया। उनका कहना था कि जब दलित समाज पर हमले होते हैं, तब ये नेता या तो मौन रहते हैं या फिर मुद्दों को निजी लाभ के लिए मोड़ देते हैं। उन्होंने कहा, “बहुजन समाज को अब प्रतिनिधित्व नहीं, नेतृत्व चाहिए। हमें ऐसे चेहरे नहीं चाहिए जो टीवी डिबेट में तो गरजें, लेकिन ज़मीन पर संघर्ष से गायब हों।” इस इंटरव्यू में गौतम ने बहुजन युवाओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया की सतही ट्रेंडिंग से ऊपर उठें और ज़मीनी सच्चाई को आवाज़ दें। उन्होंने कहा कि आंदोलन अब सिर्फ नारों से नहीं, बल्कि ठोस रणनीति और जवाबदेही से आगे बढ़ेगा। उन्होंने यह भी चेताया कि सिलेक्शवे एक्टिविस्म को अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा—जो नेता बहुजन हितों को सिर्फ अपने ब्रांडिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं, उन्हें बेनकाब करना ज़रूरी है। गौतम की यह टिप्पणी न सिर्फ एक व्यक्तिगत प्रतिक्रिया थी, बल्कि एक व्यापक सामाजिक आह्वान भी था—एक ऐसा आह्वान जो बहुजन राजनीति को पुनः जन-आधारित, नैतिक और आंदोलनधर्मी दिशा में मोड़ने की मांग करता है।

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