मेरठ में ‘थाने की जमीन’ पर बिल्डर ने कॉलोनी बनाकर बेच दिए ‘प्लॉट’, पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा!

मेरठ। पल्लवपुरम क्षेत्र में थाने के लिए आवंटित करोड़ों की बंजर सरकारी जमीन पर बिल्डरों द्वारा अवैध कॉलोनियां विकसित कर प्लॉट बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। राजस्व विभाग की जांच में इस फर्जीवाड़े की पुष्टि होने के बाद लेखपाल की तहरीर पर दो नामचीन डेवलपर्स और उनके सहयोगियों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि आरोपितों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी जमीन को निजी भूमि दिखाकर उसे आवासीय उपयोग में ले लियालेखपाल हरबीर सिंह द्वारा दी गई शिकायत में बताया गया कि मुकर्रबपुर पल्हैड़ा, परगना दौराला स्थित खसरा संख्या 609/5, रकबा 0.5060 हेक्टेयर भूमि राजस्व रिकॉर्ड में श्रेणी 5(3) ड के तहत बंजर भूमि के रूप में दर्ज है। यह जमीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एंटी करप्शन थाने के लिए आवंटित की गई थी।हालांकि, जांच में सामने आया कि मैसर्स मधुर इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने इस भूमि के विभिन्न हिस्सों को अलग-अलग खातों से खरीदकर अपने स्वामित्व में लिया—जिनमें खाता संख्या 33, 171 और 66 के तहत कुल 0.3667 हेक्टेयर भूमि आती है। लेकिन इस कंपनी द्वारा खसरा संख्या 609 की कुल 0.5727 हेक्टेयर भूमि पर कॉलोनी विकसित कर दी गई, यानी 2060 वर्ग मीटर अधिक जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया।इसी तरह चंद्रपाल एसोसिएटस और सिद्धार्थ पंवार द्वारा पल्लव विहार कालोनी विकसित की गई, जहां इनके पास केवल 0.1520 हेक्टेयर भूमि का स्वामित्व था, लेकिन उन्होंने 3420 वर्ग मीटर भूमि पर कॉलोनी बना डाली। यानी 1900 वर्ग मीटर अधिक जमीन पर कब्जा कर लिया गयाजांच में यह साफ हुआ कि दोनों बिल्डरों ने सरकारी बंजर भूमि पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर कॉलोनियां बसाई और प्लॉट बेच दिए। इससे न केवल सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ, बल्कि थाने के लिए निर्धारित भूमि भी अब प्रभावी रूप से कम हो गई है। राजस्व विभाग की रिपोर्ट और लेखपाल की शिकायत के आधार पर मधुर इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आशीष गुप्ता और आदित्य गुप्ता (पुत्रगण जेके गुप्ता), तथा चंद्रपाल एसोसिएटस के निदेशक अंकुश कुमार (पुत्र अनिल कुमार) और सिद्धार्थ पंवार (पुत्र रामकुमार) के साथ-साथ अन्य साझेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।पल्लवपुरम थाने में इनके विरुद्ध BNS की धाराएं 262(4), 336(3), 337, 338, 340(2), 61(2) और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 के तहत केस पंजीकृत किया गया है।भूमि पर पहुंची पुलिस और राजस्व टीम
बुधवार को पुलिस और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने विवादित भूमि पर पहुंचकर मुआयना किया। मामले की जांच तेज कर दी गई है और सभी आरोपितों की भूमिका को खंगाला जा रहा है।एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि बिल्डरों द्वारा फर्जीवाड़ा कर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है। लेखपाल की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है और पूरे प्रकरण की विस्तृत विवेचना की जा रही है।

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