पुलिस के अनुसार, अजीत सिंह लंबे समय से एसपी सिटी की पेशी में अनधिकृत रूप से तैनात था। दो साल पहले उसका तबादला एसपी देहात कार्यालय में हुआ था, लेकिन उसने न तो रवानगी कराई और न ही नई तैनाती में जॉइन किया। इसके बजाय वह ‘सेटिंग’ के जरिए लगातार एसपी सिटी कार्यालय में ड्यूटी करता रहा।30 जनवरी को एसएसपी विपिन ताडा ने अजीत सिंह को लाइन हाजिर कर उसकी गतिविधियों की जांच शुरू करवाई। जांच की जिम्मेदारी एसपी ट्रैफिक राघवेंद्र मिश्र को दी गई। जांच में खुलासा हुआ कि अजीत का व्यवहार अनुशासनहीन रहा है और उसने नियमों का खुला उल्लंघन किया है।जांच में यह भी सामने आया कि अजीत सिंह के विभिन्न बैंक खातों में अवैध कारोबार से जुड़ी 10 लाख रुपये से अधिक की रकम जमा हुई थी। उसे सट्टेबाजों और अन्य अवैध कार्यों से जुड़े लोगों से वसूली के पैसे मिलते थे। इन वित्तीय गतिविधियों की जानकारी शासन को रिपोर्ट के माध्यम से भेजी गई।इसके अलावा अजीत ने रामपुर निवासी अपने एक साथी के साथ मिलकर एक्स पर भाजपा युवक संघ के नाम से एक फर्जी अकाउंट बनाया और वहां से कप्तान के स्टेनो सहित कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां कीं। जब यह मामला अधिकारियों के संज्ञान में आया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए। इसके बाद सिविल लाइन थाना पुलिस ने अजीत को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
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