क्या दलित समुदाय के लिए न्याय अब भी एक संघर्ष है?
क्या मजदूरी मांगना अब भी साहस का काम है?
आजमगढ़। रौनापार थाना क्षेत्र के बर्नापुर-जगदीशपुर गांव में एक दलित वृद्ध की मौत ने न सिर्फ एक परिवार को शोक में डुबो दिया, बल्कि पूरे इलाके को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। मृतक लोकई राम (65 वर्ष) का शव उसी ईंट भट्ठे पर मिला जहां वह वर्षों से मुनिबी का कार्य करते थे। शव की स्थिति बेहद चिंताजनक थी—कीचड़ में आधा शरीर दबा हुआ, चेहरा थका हुआ और शरीर पर चोट के निशान। परिजनों का कहना है कि लोकई राम ने हाल ही में अपनी मजदूरी की मांग की थी, जिसके बाद संत विजय व संजय यादव द्वारा उन्हें धमकी दी गई थी।
परिवार का आरोप है कि यह कोई सामान्य मौत नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या है। उनका कहना है कि लोकई राम को मारकर दबा दिया गया और फिर शव को भट्ठे के पास फेंक दिया गया ताकि मामला दुर्घटना जैसा लगे।
गांव में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इसे दलित श्रमिकों के खिलाफ हो रहे शोषण और असुरक्षा का प्रतीक मान रहे हैं।
दोषियों को सख्त सजा देने की अपील:-
परिजनों ने पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है और दोषियों को सख्त सजा देने की अपील की है। वहीं, सामाजिक संगठनों ने कहा है कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की विफलता है जो श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रही है।
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि परिजन और ग्रामीणों का कहना है कि जब तक जांच स्वतंत्र और पारदर्शी नहीं होगी, तब तक न्याय अधूरा रहेगा।
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