क्या उपनाम भी अब जाति का अधिकार है?
दलित इंजीनियर की पिटाई से शुरू हुआ विवाद, अब नाम पर खिंची लकीर!
बलिया। जनपद में एक विवादास्पद और जातीय पहचान से जुड़ा मामला सामने आया है, जिसमें क्षत्रिय महासभा के प्रतिनिधियों ने सरकार को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि 'सिंह' उपनाम का प्रयोग केवल ठाकुर समुदाय के लोग ही करें। यह मांग उस समय उठी जब एक दलित इंजीनियर की पिटाई के मामले में बीजेपी कार्यकर्ता मुन्ना बहादुर सिंह पर मुकदमा दर्ज किया गया, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई। महासभा का तर्क है कि 'सिंह' उपनाम ऐतिहासिक रूप से क्षत्रिय गौरव और पहचान से जुड़ा है, जिसे अन्य जातियों द्वारा प्रयोग करना उनकी परंपरा और अस्मिता पर आघात है। इस मांग को लेकर विभिन्न वर्गों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, जहां एक ओर इसे जातीय श्रेष्ठता की कोशिश बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे सांस्कृतिक अधिकार की बहस मान रहे हैं। मामला अब प्रशासन और राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बनता जा रहा है, क्योंकि इससे सामाजिक समरसता और संवैधानिक समानता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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