संविधान के सिद्धांतों पर आधारित इस विवाह ने तोड़ी परंपराओं की बेड़ियां, लोगों ने कहा—‘नई सोच का नया उदाहरण’
बिना पंडित, बिना मंत्र—सिर्फ संविधान की शपथ पर हुआ विवाह समारोह!
दोनों भाइयों ने दुल्हनों संग समानता और सम्मान की ली प्रतिज्ञा, सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें, लोग बोले—यह है ‘नई पीढ़ी की सोच’
हिमाचल प्रदेश। समाज में जब ज्यादातर शादियां धार्मिक रीति-रिवाजों और मंत्रोच्चारण के साथ होती हैं, वहीं हिमाचल प्रदेश में एक अनोखी शादी चर्चा का विषय बन गई है। रविवार को हुए इस विवाह में दो भाइयों ने किसी पंडित को नहीं बुलाया, न ही पारंपरिक फेरे लिए। इसके बजाय दोनों ने भारतीय संविधान की शपथ लेकर अपनी-अपनी दुल्हनों को जीवनसाथी के रूप में स्वीकार किया।
इस विवाह समारोह ने न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि सोशल मीडिया पर भी सबका ध्यान खींच लिया है। समारोह में सादगी और संवैधानिक मूल्यों की झलक देखने को मिली। दोनों भाइयों ने अपनी दुल्हनों के साथ संविधान के अनुच्छेदों का पाठ किया और समानता, सम्मान व स्वतंत्रता के मूल्यों को जीवन में अपनाने की प्रतिज्ञा ली।
शादी में शामिल लोगों ने बताया कि यह विवाह परंपरा से हटकर था लेकिन इसमें आधुनिक सोच और समान अधिकारों का मजबूत संदेश था। न ढोल-नगाड़े, न भारी सजावट—सिर्फ संविधान और आपसी विश्वास के आधार पर हुआ यह विवाह समाज में एक नई मिसाल बन गया है।
इस विवाह के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। लोग इसे "नई सोच की शादी" बता रहे हैं। युवाओं के बीच यह विवाह एक प्रेरणा के रूप में देखा जा रहा है, जो बताता है कि रिश्ते न सिर्फ धर्म या परंपरा से, बल्कि आपसी सम्मान और संवैधानिक मूल्यों पर भी टिक सकते हैं।
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