ब्रेकिंग न्यूज़ : मुलायम परिवार के विरोधाभास, यूपी की जनता को अब बहन जी से आस!


कभी सपा की एकजुट ताकत मानी जाने वाली यह राजनीतिक विरासत आज अंदरूनी कलह और निजी महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ती दिख रही है।
संपादक -मनीष कुमार 
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी परिवार के भीतर बढ़ते विरोधाभास अब खुलकर सामने आने लगे हैं। मुलायम सिंह यादव की विरासत संभालने का दावा करने वाले यादव परिवार के सदस्य अब अलग-अलग खेमों में बंट चुके हैं। कभी सपा की एकजुट ताकत मानी जाने वाली यह राजनीतिक विरासत आज अंदरूनी कलह और निजी महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ती दिख रही है।
इसी बीच, प्रदेश की जनता एक बार फिर उम्मीद भरी निगाहों से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती की ओर देख रही है। जनता को लगने लगा है कि अब प्रदेश को स्थिरता और साफ-सुथरी राजनीति की जरूरत है, जो केवल “बहन जी” जैसी दृढ़ नेता ही दे सकती हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यादव परिवार में जारी मतभेदों ने सपा के पारंपरिक वोट बैंक में भ्रम पैदा किया है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी मतदाता तक अब तीसरे विकल्प की तलाश में हैं — और यह विकल्प मायावती के रूप में दिख रहा है।
मायावती ने हाल ही में पिछड़े वर्गों, मुस्लिम समाज और दलितों को जोड़ने के लिए लगातार बैठकों की श्रृंखला शुरू की है। उनका फोकस साफ है — “सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक समानता” का नारा देकर एक बार फिर बहुजन एकता को मजबूत करना।
लखनऊ से लेकर आजमगढ़, गोरखपुर और प्रयागराज तक बसपा के संगठनात्मक ढांचे में नई जान फूंकी जा रही है। कार्यकर्ता स्तर पर संदेश साफ है — “विरोधी दलों के झगड़े में जनता का भला नहीं, अब बहन जी ही विकल्प हैं।”
राजनीतिक माहौल बदलने की आहट तेज है। जहां सपा अपने घर को संभालने में व्यस्त है, वहीं बसपा मैदान में मुद्दों और संगठन दोनों पर मजबूती से उतर चुकी है।
यूपी की जनता अब एक बार फिर पूछ रही है — “क्या अबकी बार बहन जी?”

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ