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बीजेपी की सरकार ने सिर्फ पूंजीपतियों और बड़े घरानों को फायदा पहुंचाया है। गरीब, दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग आज भी हाशिए पर है: मायावती
भभुआ : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी जैसे-जैसे तेज़ हो रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों की गतिविधियाँ भी रफ्तार पकड़ रही हैं। इसी क्रम में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बहन कुमारी मायावती ने बिहार के कैमूर जिले के भभुआ में एक विशाल महारैली का आयोजन कर सियासी पारा चढ़ा दिया। यह रैली न सिर्फ बसपा के लिए चुनावी शंखनाद थी, बल्कि राज्य की राजनीति में एक नए समीकरण की दस्तक भी थी।
भभुआ के एयरफील्ड मैदान में आयोजित इस रैली में हजारों की संख्या में लोग उमड़े। मैदान खचाखच भरा हुआ था, और चारों ओर बसपा के नीले झंडे लहरा रहे थे। मंच पर मायावती के साथ बसपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष, स्थानीय उम्मीदवार और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। रैली की शुरुआत दलित प्रेरणा गीतों और बहुजन नायकों की जयंतियों के स्मरण से हुई, जिससे माहौल पूरी तरह बसपा के रंग में रंग गया।
मायावती ने भारतीय जनता पार्टी पर बोला सीधा हमला :-
अपने भाषण में मायावती ने भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा: बीजेपी की सरकार ने सिर्फ पूंजीपतियों और बड़े घरानों को फायदा पहुंचाया है। गरीब, दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग आज भी हाशिए पर है। बिहार में बदलाव की जरूरत है, और वह बदलाव बसपा ही ला सकती है।"
मायावती ने आरोप लगाया कि बीजेपी की नीतियाँ सामाजिक न्याय के खिलाफ हैं और उन्होंने दलितों को सिर्फ वोट बैंक समझा है। उन्होंने कहा कि बसपा का दलित-मुस्लिम-पिछड़ा (DMP) फॉर्मूला ही बिहार को एक समतामूलक समाज की ओर ले जा सकता है।
DMP फॉर्मूला: सामाजिक न्याय की नई परिभाषा
बसपा इस चुनाव में DMP यानी दलित, मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रही है। मायावती ने कहा कि ये तीन वर्ग बिहार की आबादी का बड़ा हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें आज तक सत्ता में भागीदारी नहीं मिली। उन्होंने जनता से अपील की कि वे जाति और धर्म के नाम पर बांटने वाली राजनीति को नकारें और बसपा को मौका दें।
जनसैलाब की प्रतिक्रिया:-
रैली में उमड़ी भीड़ ने यह स्पष्ट कर दिया कि मायावती का संदेश जमीन पर असर कर रहा है। लोग दूर-दूर से बसों, ट्रकों, बाइक और पैदल चलकर रैली स्थल पर पहुंचे थे। महिलाओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही, जो मायावती को ‘बहनजी’ कहकर संबोधित करती हैं और उन्हें अपने अधिकारों की प्रतीक मानती हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा और पलायन बढ़ता जा रहा है। सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की हालत बदतर है, जिसे बसपा सुधारने का वादा करती है। मायावती ने दावा किया कि उनकी सरकार में उत्तर प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण रहा, और वही मॉडल बिहार में लागू किया जाएगा। महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण: उन्होंने कहा कि बसपा महिलाओं को राजनीति में भागीदारी देने के लिए प्रतिबद्ध है।
बसपा इस बार सीमावर्ती जिलों पर विशेष ध्यान दे रही है, खासकर वे इलाके जो उत्तर प्रदेश से सटे हैं। पार्टी का मानना है कि वहां मायावती की लोकप्रियता और बसपा का जनाधार पहले से मौजूद है। इसके अलावा, पार्टी ने कई मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग के नेताओं को टिकट देकर DMP समीकरण को मजबूत करने की कोशिश की है।
मायावती ने घोषणा की कि वे बिहार के अन्य जिलों में भी इसी तरह की रैलियाँ करेंगी। उन्होंने कहा कि बसपा का लक्ष्य सिर्फ चुनाव जीतना नहीं है, बल्कि बिहार को एक नया सामाजिक और राजनीतिक दिशा देना है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे घर-घर जाकर DMP फॉर्मूले को समझाएं और लोगों को जागरूक करें।
मायावती की भभुआ रैली ने यह संकेत दे दिया है कि बसपा इस बार बिहार में गंभीरता से चुनाव लड़ रही है। जनसैलाब, मुद्दों की स्पष्टता और बीजेपी पर सीधा हमला यह दर्शाता है कि बसपा अब सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं रहना चाहती। अगर DMP फॉर्मूला जमीन पर काम करता है, तो बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव संभव है।
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