उत्तर प्रदेश की सियासत में नया समीकरण: मायावती ने साधा OBC वोट बैंक, BJP के लिए बढ़ी चुनौती!


मायावती का नया मिशन — OBC समाज को साथ लाकर बसपा की पुरानी ताकत को पुनर्जीवित करने की कोशिश।

भाजपा के कोर वोट बैंक में सेंध की कोशिश, उत्तर प्रदेश में बदल सकता है सियासी गणित।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव होता दिख रहा है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक माने जाने वाले पिछड़ा वर्ग (OBC) को साधने के लिए नई रणनीति अपनाई है। भाजपा की हिंदुत्व आधारित राजनीति से असंतुष्ट OBC वर्ग अब आरक्षण, राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक सम्मान जैसे मुद्दों की ओर झुकाव दिखा रहा है — और मायावती इसी अवसर को बसपा की पुरानी सामाजिक इंजीनियरिंग को पुनर्जीवित करने के रूप में देख रही हैं।
बसपा ने अपने पुराने ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ फार्मूले के साथ अब फिर से भाईचारा कमेटियों और BAMCEF जैसे संगठनों को सक्रिय करना शुरू किया है। इसका उद्देश्य दलित और OBC समुदायों के बीच सामाजिक एकता और राजनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि मायावती इस एकता को मजबूत करने में सफल रहती हैं, तो यह भाजपा के लिए 2027 के विधानसभा चुनाव में गंभीर चुनौती बन सकता है।
मायावती ने हाल के अपने संबोधनों में बार-बार यह कहा है कि “OBC समाज का वास्तविक हित बसपा में ही सुरक्षित है,” और उन्होंने संगठन को निर्देश दिया है कि गांव-गांव जाकर पिछड़े वर्ग के लोगों से संवाद बढ़ाया जाए।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा की कोर OBC रणनीति पर बसपा का यह सीधा प्रहार है, जो आने वाले चुनावी समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है। सवाल अब यही है — क्या OBC वोटर हिंदुत्व की राजनीति से हटकर फिर से बसपा को अपना राजनीतिक घर बनाएगा?

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