अधिकारियों की लापरवाही से समाप्त ना हो जाय सेहदा जंगल
नहीं रहेगा जंगल तो कैसे होगी वर्षा, और कहां निवास करेंगे पक्षी
पल्हनी ब्लाक के सेहदा गांव का जंगल अपने अस्तित्व की लड़ रहा लड़ाई
ब्यूरो प्रमुख-मनीष कुमार
कन्धरापुर-आजमगढ़। एक तरफ तो सरकार जल, जंगल, जमीन बचाने की बात करती है,और अधिकारियों को निर्देशीत करती है, कि इन्हें बचाया जाय लेकिन सरकार के इस प्रयास का लाभ अधिकारियों की लापरवाही से नहीं दिख रहा है। यदि अधिकारी अपनी पुरी निष्ठा से अपना काम करते तो इसका लाभ मिलता। जनपद में कई ऐसे जंगल जैसे-रूद्रपुर, सारंगपुर, केशवपुर, अशरपफपुर, सेमरौल, कादीपुर व पौधशाला है, जो अधिकारियों की अनदेखी से विलुप्त होने की कगार पर है। इसका ताजा वाकिया देखा जाय, तो पल्हनी ब्लाक के सेहदा ग्राम सभा में जंगल जिसका क्षेत्रफल 11ण्719 हेक्टेयर है, लगभग दस वर्ष पूर्व जिस जंगल में लाग आस पास घूमने से डरते थे, जिसमें कई प्रकार के जीव जन्तु जैसे खरगोश, मोर, जंगली पक्षी लिलगाय, निवास करते थे, जिससे लोग सेहदा गांव को एक संपन्न ग्राम सभा मानते और यहा आया करते और अपनी दिनचर्या को यहां विताते लेकिन अधिकारियों ने ऐसी लापरवाही की कि आज वह जंगल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। क्षेत्र के लोगों द्वारा लगातार जंगल के वृक्षों को काटा जा रहा, जिससे जंगल का क्षेत्रफल सिकुड़ता जा रहा है। इसका मतलब यह हुआ की अधिकारियों को शासन प्रशासन का कोई भय नहीं रह गया, इसीलिए तो अधिकारियों का जंगल मार्ग से आना-जाना लगा रहता है, लेकिन इसकी सुध कोई लेने वाला नहीं है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन, शासन प्रशासन या अधिकारी।
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