भड़काऊ भाषण से क्यों उन्मादी हो जाती है भीड़, हेट क्राइम का दिमाग के किस हिस्से पर होता है असर ?

हरियाणा। प्रदेश में दो समुदायों के बीच हुए तनाव के चलते हालात अब भी तनावपूर्ण बने है। इसी बीच दोनों समुदाय एक-दूसरे पर हेट स्पीट का आरोप लगा रहे है। वैसे हेट स्पीच किसी भी रैली या प्रदर्शन से कहीं ज्यादा असर करती है, और सुनने वाले तुरंग मारकाट पर उतारों हो जाते है। इक्का-दुक्का नहीं इतिहास में ऐसे ढेरों उदाहरण है, जिसमें हेट स्पीच की वजय से नरसंहार हुआ है। यहूदी नरसंहार या होलोकास्ट भी यहीं है, दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान 60 लाख से ज्यादा यहूदियों को खौफनाक मौत दी गई। ज्यादातर लोगों को गैस चेंबर में भरकर मार दिया गया, ये मौत एकाएक नहीं हुई, ऐसा नहीं था कि जर्मन्स यहूदियों से हमेशा से नफरत करते थे, ये नफरत सिलसिलेवार ढंग से जगाई गई। असल में तब जर्मनी पर नाजी शासक था, हिटलर के कहने पर पूरा का पूरा मीडिया यहूदियों के खिलाफ आग उगलने लगा। मकसद यही था कि आम जर्मन भी उनसे दूर होने लगा ऐसा ही हुआ। यहां तक िकवे लोग खुद यहूदियों को सजा दिलाने में मदद करने लगे।

क्या है हेट स्पीच------?

 आम में भाषा में इसे भड़काऊ भाषण भी कह सकते है, ये किसी खास शख्स, समुदाय जेंडर ना नस्ल को टारगेटकरता हुआ होता है। यूनाइटेड नेशन्स स्ट्रेटजी एंड प्लान ऑफ एक्शन्स के अनुसार संवाद का कोई भी तरीका, जो किसी भी पहचान, उसके देश, भाषा, तौर-तरीके, जाति-धर्म, रंग को बुरा बताता हो, वो हेट स्पीच है, ये बोलने तक सीमित नहीं, लिखने या इशारों में भी ये होता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ