उत्तर प्रदेश। उपचुनावों की तारीखों का ऐलान भले ही न हुआ हो लेकिन उत्तर प्रदेश में सभी पार्टियां पूरी तरह से एक्टिव हो गई हैं। चाहे बीजेपी हो, सपा हो, कांग्रेस हो या बसपा.. सभी ने अपनी-अपनी कमर कस ली है। हर ओर से ही धारदार बयान, वार-पलटवार का सिलसिला जारी है.. यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। खासकर बसपा प्रमुख मायावती, वो किसी भी मुद्दे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। पूरे लोकसभा चुनाव ये देखा गया कि तमाम विपक्षी पार्टियों की ओर से मायावती पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाया जाता रहा, लेकिन हाल फिलहाल में मायावती के कड़क तेवर ने ये साफ कर दिया कि उनके खिलाफ बनाए जा रहे नरेटिव से सच्चाई का कोई लेना-देना नहीं है। मायावती ने अपने ऊपर लगे हुए बीजेपी की बी-टीम कि आप को खारिज करते हुए सरकार पर आए दिन हमलावर दिखाई दे रहे हैं। जब भी कोई ऐसा कानून है फैसला भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस पार्टी द्वारा कोई भी फैसला लिया जाता हो तो, यदि वह फैसला दलित पिछड़े हुए आदिवासियों के विरुद्ध हो तो बसपा सुप्रीमो मायावती सरकार पर बरस पड़ती है। और अपनी पुरानी सभी को दर्शाने लगती है। इसके विपरीत अगर देखा जाए लोकसभा चुनाव में संविधान बदलने का डर दिखाकर इंडिया गठबंधन के नेताओं द्वारा दलित गरीब व सहयोग का वोट लेकर अपनी सीटों में तो बढ़ोतरी के कर ली पर संविधान पर खतरा आया है तो इंडिया गठबंधन के कोई ऐसा नेता नजर नहीं आ रहा जो एससी एसटी आरक्षण में वर्गीकरण व क्रिमि लेयर को लेकर आवाज़ उठाएं। परंतु जैसे ही इस मामले का पता बहन कुमारी मायावती को चलता है तो बहन कुमारी मायावती भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस पार्टी पर बरस पड़ती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करती हैं की संसद का विशेष सत्र बुलाकर संविधान में संशोधन कर आरक्षण को नवी सूची में डाला जाए।
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