बड़ी खबर—उत्तर प्रदेश में 5000 सरकारी स्कूलों के विलय का फैसला, शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल!

हजारों शिक्षकों और स्टाफ की नौकरियों पर भी संकट मंडरा रहा है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 5000 सरकारी स्कूलों को बंद करने या बड़े स्कूलों में मर्ज करने का निर्णय लिया है। यह फैसला उन स्कूलों पर लागू होगा जहां कक्षा 8 तक के छात्रों की संख्या 50 से कम है।
सरकार का दावा है कि यह कदम नई शिक्षा नीति 2020 के तहत संसाधनों के बेहतर उपयोग और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में उठाया गया है। लेकिन शिक्षक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच प्रभावित होगी, बल्कि हजारों शिक्षकों और स्टाफ की नौकरियों पर भी संकट मंडरा रहा है।
शिक्षक संघों का आरोप है कि सरकार शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के बजाय संस्थानों को बंद कर रही है। उनका कहना है कि अगर स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक, स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब और लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं होतीं, तो छात्र संख्या में गिरावट नहीं आती।
विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि जब देश की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, तो स्कूलों की संख्या घटाना समझ से परे है। बहुजन समाज पार्टी ने दावा किया है कि मायावती सरकार के कार्यकाल में 5549 नए प्राइमरी स्कूल खोले गए थे, जबकि मौजूदा सरकार उन्हें बंद करने पर तुली है।

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