भारत-पाक तनाव के बीच तुर्की की नई चाल: इस्लामाबाद में सैन्य गठजोड़ की पटकथा?



रक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग पर चर्चा
क्या तुर्की चला रहा है ‘हथियार कूटनीति?
इस्लामाबाद/नई दिल्ली | भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच तुर्की ने एक नई कूटनीतिक पहल करते हुए अपने रक्षा मंत्री यासर गुलर और विदेश मंत्री हाकान फिदान को पाकिस्तान भेजा है। दोनों मंत्री इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात कर रहे हैं। इस दौरे को केवल औपचारिक राजनयिक यात्रा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक सैन्य गठजोड़ की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
रक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग पर चर्चा
सूत्रों के मुताबिक, इस उच्चस्तरीय बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा उद्योग, सैन्य प्रशिक्षण, ड्रोन तकनीक, व्यापार और आर्थिक सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हो रही है। तुर्की और पाकिस्तान पहले ही ड्रोन निर्माण और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में साझेदारी कर चुके हैं। तुर्की के प्रसिद्ध सशस्त्र ड्रोन TB2 और YIHA को पाकिस्तान को सौंपे जाने की पुष्टि पहले ही हो चुकी है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद तुर्की का रुख
भारत द्वारा हाल ही में किए गए ऑपरेशन 'सिंदूर' के बाद तुर्की ने पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ तुर्की निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल किया है। यह घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है, खासकर तब जब तुर्की खुले तौर पर पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आ रहा है।
भारत के लिए त्रिकोणीय खतरे की आशंका
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के संभावित गठजोड़ को भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया था। उन्होंने इसे "तीन मोर्चों वाला खतरा" करार दिया, जो भारत की सामरिक नीति के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है।
क्या तुर्की चला रहा है ‘हथियार कूटनीति’?
विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की इस्लामी देशों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत कर एक वैकल्पिक शक्ति धुरी खड़ी करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के साथ बढ़ता सैन्य सहयोग न केवल दक्षिण एशिया की रणनीतिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है, बल्कि भारत की पश्चिम एशिया नीति को भी चुनौती दे सकता है।

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