शबाना आज़मी की परसहा यात्रा —कैफ़ी की विरासत से संवाद, संघर्ष की प्रेरणा फिर जीवित हुई!

कैफ़ी की विरासत से संवाद — शबाना आज़मी ने परसहा में कॉमरेड पाण्डेय से ली संघर्ष की प्रेरणा!
इंकलाब की आवाज़ फिर गूंजी — शबाना आज़मी ने कहा, लड़ने का हौसला कॉमरेड पाण्डेय से मिला!
संवाददाता: अबुल कैश फ़रिहा
 आज़मगढ़। फिल्म अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आज़मी ने शनिवार को आज़मगढ़ के परसहा गाँव में कॉमरेड हरिमंदिर पाण्डेय से मुलाकात की। उनके साथ मिज़वा वेलफेयर सोसायटी की चीफ सेक्रेटरी नम्रता गोयल भी मौजूद थीं। यह मुलाकात एक औपचारिक भेंट से कहीं अधिक थी — यह कैफ़ी आज़मी की विचारधारा, आंदोलन की विरासत और वैचारिक संवाद का पुनर्जागरण था। शबाना और नम्रता का स्वागत मंजू और सविता ने पारंपरिक टीका लगाकर किया। माहौल में "इंकलाब ज़िंदाबाद" और "कमाने वाला खाएगा, लूटने वाला जाएगा" जैसे नारे गूंजे, जो इस मुलाकात को एक वैचारिक संगम में बदलते रहे। कॉमरेड पाण्डेय ने शबाना को कैफ़ी आज़मी से जुड़े कई संस्मरण सुनाए। जब उन्होंने उन्हें "शबाना जी" कहकर संबोधित किया, तो शबाना ने मुस्कराते हुए टोकते हुए कहा, "यह नहीं, आप जो पहले बोलते थे — कॉमरेड शबाना — वही बोलिए।" इस आत्मीय संवाद ने पुराने संघर्षों की गर्मी को फिर से महसूस कराया।
शबाना ने कहा, "हमें तो लग रहा था आप बिस्तर पर होंगे, लेकिन आपकी आवाज़ और तेवर तो आज भी पुराने हैं।" यह वाक्य न केवल सम्मान था, बल्कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संघर्ष की लौ को सौंपने जैसा था। मुलाकात के अंत में कॉमरेड पाण्डेय ने उन्हें वी. एन. राय की चर्चित पुस्तकें "शहर में कर्फ्यू" और "लड़कियों का इंकलाब" भेंट कीं। शबाना ने घर के सभी सदस्यों का हालचाल लिया और पाण्डेय जी की दोनों बहुओं से भी अंदर जाकर लंबी बातचीत की। यह मुलाकात एक घंटे से अधिक चली, जिसमें विचार, स्मृतियाँ और आंदोलन की ऊर्जा साझा हुई। शबाना ने जाते हुए कहा, "हमने लड़ने का हौसला अपने पिता कैफ़ी आज़मी और कॉमरेड हरिमंदिर पाण्डेय जी से सीखा है।" इस मौके पर गोपाल सुवेदी, सीपीआई जिला सचिव जितेंद्र हरि पाण्डेय, हरिगेन, आकाश, समीर, रामकेश, मंजू, सविता, सुषमा, खुशी, कोमल, धीरेन्द्र सहित कई स्थानीय कार्यकर्ता और समर्थक उपस्थित रहे।

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