18 बनी हाशिम के ताबूत की ज़ियारत, नौहा-मातम और तकरीरों से गूंज उठा शिवलि का माहौल।
संवाददाता -नासिर हुसैन
शिवलि/आजमगढ़। हजरत इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की याद में शिवलि कस्बे में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कारवाने ग़म जुलूस अमारी का आयोजन श्रद्धा और अकीदत के साथ किया गया। इस अवसर पर 18 बनी हाशिम के ताबूत की ज़ियारत कराई गई, जिसे देखने और श्रद्धा अर्पित करने के लिए प्रदेश भर से अंजुमनें और जायरीन पहुंचे। जुलूस में अंजुमन अब्बासइया आमहट सुल्तानपुर, अंजुमन अंसार हुसैनी मुबारकपुर, अंजुमन आबिदया नौगांवआ सदात, अंजुमन मजलूमया मऊ सहित कई अंजुमनों ने नौहा पेश किया। पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं और बच्चे भी मातम करते हुए शामिल रहे। मुकामी अंजुमनों ने भी सीनाजनी और नौहा के माध्यम से कर्बला के 72 शहीदों को खिराजे अकीदत पेश किया। जुलूस अपने पारंपरिक मार्ग से होता हुआ खीरी की बाग पहुँचा, जहाँ जनाब नदीम असगर साहब (बनारस), जनाब मेंहदी रिज़वी साहब (आज़मगढ़) और जनाब अब्बास इर्शाद साहब (लखनऊ) ने अपने अंदाज़ में मसायब और तकरीरें पेश कीं, जिससे उपस्थित लोगों की आँखें नम हो गईं।
इस अवसर पर अल मुज्तबा फाउंडेशन द्वारा जायरीन के लिए मुफ्त चिकित्सा और दवा की व्यवस्था की गई। जनाब वसी हैदर साहब ने बताया कि उनकी टीम डॉ. अरशद हुसैन, डॉ. अब्बास भाई, डॉ. खावर हुसैन, डॉ. अली सतबीर, डॉ. यासूब हैदर, डॉ. कोमेल के सहयोग से सेवाएं दे रही है। शिवलि के स्थानीय लोगों द्वारा जगह-जगह खाना, पानी, कोल्ड ड्रिंक, चाय और बच्चों के लिए दूध-बिस्कुट की सबील लगाई गई। जुलूस की निजामत जीशान आजमी साहब (निजामाबाद) ने की, जिन्होंने 6 माह के अली असगर का मसायब सुनाकर माहौल को भावुक कर दिया। अंत में उन्होंने सभी अंजुमनों, जायरीन और पुलिस प्रशासन का आभार व्यक्त किया।
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